Pakistan दुनिया को Taliban के खिलाफ भड़काने की कोशिश में?

Pakistan दुनिया को Taliban के खिलाफ भड़काने की कोशिश में?
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जिस Taliban को पैदा किया, अब उसी को डुबाने चला Pakistan 

 

इस्लामाबाद / काबुल: पाकिस्तान (Pakistan) अब अफगान तालिबान (Taliban) के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में लगा है और खुद को आतंकवाद का शिकार दिखाते हुए दुनिया के बड़े देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है।

पहले पाकिस्तान ही वह देश था जिसने ISI के जरिए तालिबान को खड़ा होने में मदद की — उनको पनाह, ट्रेनिंग और खुफिया सहायता दी। लेकिन 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्ज़े के बाद रिश्ते बदल गए। तालिबान ने पाकिस्तान-विरोधी आतंकियों, खासकर टीटीपी (Tehrik-e-Taliban Pakistan), को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया — जो पाकिस्तान में कई हमलों के लिए जिम्मेदार है।

अब पाकिस्तान खुद को दुनिया के सामने इस तरह पेश कर रहा है कि वह आतंकवाद का निशाना है, न कि उसका समर्थक।

डिप्लोमैटिक स्तर पर पाकिस्तान दुनिया के बड़े देशों और पड़ोसी मुल्कों से कह रहा है कि टीटीपी सिर्फ पाकिस्तान की समस्या नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा है। इसका मकसद है — तालिबान पर दबाव डालना कि वह टीटीपी को अफगान जमीन से बाहर निकाले।

मिलिट्री मोर्चे पर भी पाकिस्तान पीछे नहीं हट रहा। 2024 के अंत से पाकिस्तानी एयरफोर्स ने अफगानिस्तान के अंदर कई टारगेटेड एयरस्ट्राइक किए, जिनका निशाना कथित आतंकी ठिकाने थे। यह संदेश स्पष्ट था — पाकिस्तान जरूरत पड़ी तो एकतरफा कार्रवाई करेगा।

उधर तालिबान भी झुकने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि अफगान जमीन पर हमला उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है। टीटीपी पर कार्रवाई करने से तालिबान के अंदर भी मतभेद बढ़ सकते हैं क्योंकि कुछ धड़े टीटीपी से सहानुभूति रखते हैं।

कई विशेषज्ञों का कहना है कि अब पाकिस्तान और तालिबान दोस्त नहीं, बल्कि अविश्वास के दौर के दो विरोधी खिलाड़ी बन गए हैं।

इस तनाव का असर भारत, अमेरिका, चीन, रूस — सभी पर पड़ सकता है। यह संकट नए सुरक्षा समीकरण भी ला सकता है और सीमा के दोनों ओर अस्थिरता भी बढ़ा सकता है।

अभी के लिए, पाकिस्तान हर स्तर पर तालिबान को अंतरराष्ट्रीय रूप से घेरने में लगा है — जबकि तालिबान बाहरी दबाव को अपने शासन की स्वतंत्रता में दखल मानता है। दोनों खेमों के बीच यह टकराव अभी खत्म होता नहीं दिख रहा।

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