News Desk: पाकिस्तान के फील्ड मार्शल और आर्मी चीफ़ आसिम मुनीर ने देश की आज़ादी के दिन खुद को हिलाल-ए-जुर्रत से नवाज़ दिया — यह पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा जंग का वीरता पदक है, जो भारत के महावीर चक्र के बराबर माना जाता है। वजह बताई गई — भारत से हालिया युद्ध में उनकी “शानदार अगुवाई।”
फौज के मीडिया विंग ISPR ने यह एलान करते हुए पूरे सैन्य और सियासी टॉप लेवल को पुरस्कारों की बारिश में भिगो दिया। पाकिस्तान सरकार इस टकराव को ऑपरेशन बुंयनुम मारसूस और मारका-ए-हक़ यानी “सच की जंग” में बड़ी जीत बता रही है। यह जंग भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में हुई, जो 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमलों के बाद शुरू हुई थी।
सैन्य मेडल की लिस्ट में एयर चीफ़ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू, नेवल चीफ़ एडमिरल नावेद अशरफ और ज्वाइंट चीफ़्स चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा भी शामिल रहे, जिन्हें निशान-ए-इम्तियाज़ (मिलिट्री) मिला। आईएसआई चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आसिम मालिक, आईएसपीआर डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ़ चौधरी समेत कई टॉप कमांडर्स को हिलाल-ए-इम्तियाज़ (मिलिट्री) से सम्मानित किया गया।
लेकिन सबसे चौंकाने वाला रहा नेताओं का ‘सम्मान’। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, डिप्टी पीएम इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, सूचना मंत्री अत्ताउल्ला तारड़, क़ानून मंत्री आज़म नज़ीर तारड़, गृहमंत्री मोहसिन नक़वी और पीपीपी चीफ़ बिलावल भुट्टो ज़रदारी — सभी को निशान-ए-इम्तियाज़ थमा दिया गया। वजह — “जंग में कूटनीतिक और रणनीतिक भूमिका।”
विदेश दौरों पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान का पक्ष रखने वाली पूरी डेलिगेशन को भी मेडल दिए गए। कुल मिलाकर, 8 सितारा-ए-जुर्रत, 5 तमगा-ए-जुर्रत, 24 सितारा-ए-बसालत, 45 तमगा-ए-बसालत, 146 इम्तियाज़ी असनाद और 259 सीओएएस कमेंडेशन कार्ड बांटे गए।
आलोचक कह रहे हैं, यह कार्यक्रम वीरता का सम्मान कम और सत्ताधारी वर्ग का सेल्फ-कॉन्ग्रैचुलेशन शो ज्यादा था।