अब ‘भीख का कटोरा’ नहीं उठाएंगे: आर्थिक संकट के बीच पीएम शहबाज़ शरीफ का बड़ा बयान

क्वेटा/इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने शनिवार को क्वेटा में सेना के जवानों को संबोधित करते हुए देश की खराब आर्थिक हालत को खुले तौर पर स्वीकार किया। उन्होंने साफ कहा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान अपने पुराने तरीके – यानी मदद मांगने – से बाहर निकले और आत्मनिर्भर बने।

शरीफ ने कहा, “हमारे अपने करीबी दोस्त भी अब हमसे ‘भीख का कटोरा’ लेकर आने की उम्मीद नहीं करते।” उन्होंने चीन, सऊदी अरब, तुर्की, क़तर और यूएई जैसे देशों का नाम लेते हुए कहा कि अब ये देश पाकिस्तान से व्यापार, निवेश, शिक्षा और तकनीक में साझेदारी की उम्मीद करते हैं – ना कि सिर्फ आर्थिक मदद की।

“अब यह आर्थिक बोझ मेरे साथ ही खत्म होगा,” शरीफ ने कहा। “पाकिस्तान के पास प्राकृतिक संसाधन और युवा शक्ति है, अब समय आ गया है कि हम इसका सही इस्तेमाल करें।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। यह हमला 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष भारतीयों की जान गई थी। भारत के मुताबिक, इस कार्रवाई में करीब 100 आतंकी मारे गए, जो जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े थे।

पाकिस्तान को हाल ही में IMF से 1 अरब डॉलर की मदद मिली है, लेकिन उसके आर्थिक हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं।

प्रधानमंत्री शरीफ का यह बयान न सिर्फ देश के आर्थिक हालात को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अब पाकिस्तान अपने पुराने रवैये को बदलना चाहता है – जहां वह सिर्फ सहायता लेने वाला देश था, अब वह भागीदारी करने वाला देश बनना चाहता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह भाषण पाकिस्तान की आर्थिक और विदेश नीति में एक बड़ा मोड़ हो सकता है। लेकिन क्या शरीफ वाकई इस ‘भीख के कटोरे’ की नीति को खत्म कर पाएंगे या यह सिर्फ एक और राजनीतिक जुमला बनकर रह जाएगा – यह तो वक्त ही बताएगा।

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