News Desk: चीन ने एक नया तकनीकी कीर्तिमान स्थापित करते हुए शंघाई के तट से कुछ मील दूर समंदर के अंदर अपना पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेटा सेंटर बनाना शुरू कर दिया है। यह सेंटर खास तौर पर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इसे ठंडा करने के लिए मीठे पानी की जरूरत न पड़े, बल्कि समंदर का ठंडा पानी ही इसका तापमान नियंत्रित करेगा।
क्यों खास है ये अंडरवॉटर सेंटर?
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परंपरागत डेटा सेंटर्स को ठंडा रखने के लिए रोजाना लाखों लीटर पानी खर्च होता है, जिससे पर्यावरण पर बड़ा असर पड़ता है।
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लेकिन इस अंडरवॉटर डेटा सेंटर में समुद्र का ठंडा पानी सीधे सर्वरों को ठंडा करेगा — जिससे न सिर्फ पानी बचेगा, बल्कि बिजली की खपत भी 40% तक कम हो जाएगी।
पवन ऊर्जा से चलेगा, AI को देगा ताकत
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यह डेटा सेंटर 97% तक बिजली पास के ऑफशोर विंड फार्म से लेगा यानी यह पूरी तरह रिन्यूएबल एनर्जी पर आधारित होगा।
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पहले चरण में 2.3 मेगावाट क्षमता वाला एक डेमो यूनिट तैयार होगा जिसमें 198 सर्वर रैक होंगे, जो GPT-3.5 जैसे मॉडल को सिर्फ एक दिन में ट्रेन कर सकते हैं।
चीन की बड़ी छलांग
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Microsoft ने पहले पानी के नीचे डेटा सेंटर पर प्रयोग किया था (Project Natick), लेकिन चीन अब इसे कमर्शियल स्तर पर लागू कर रहा है।
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इससे पहले चीन ने 2022 में हैनान के पास पहला पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। अब शंघाई में बन रहा सेंटर लगभग 1.6 अरब युआन (223 मिलियन डॉलर) की लागत से तैयार हो रहा है।
पर्यावरण को राहत, लेकिन सवाल भी
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अनुमान है कि 2027 तक दुनिया के डेटा सेंटर्स हर साल 6.6 अरब घन मीटर मीठा पानी खर्च करेंगे।
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ऐसे में चीन की यह पहल एक सस्टेनेबल समाधान हो सकती है।
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हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि समंदर के नीचे गर्मी का प्रभाव और समुद्री जीवन पर असर भी गंभीर मुद्दे हैं।
चीन का यह अंडरवॉटर AI डेटा सेंटर तकनीक और पर्यावरण के संतुलन की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर यह सफल रहा, तो दुनिया भर में डेटा सेंटरों की तस्वीर बदल सकती है — खासकर पानी की किल्लत झेल रहे देशों के लिए।