नई दिल्ली: भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला गुरुवार शाम लगभग 4 बजे (भारतीय समयानुसार) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए। वे Axiom-4 मिशन के तहत SpaceX के Falcon 9 रॉकेट और Crew Dragon कैप्सूल के ज़रिए वहां पहुंचे।
शुभांशु शुक्ला, विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
अंतरिक्ष में चार देशों के वैज्ञानिक
Axiom-4 मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं:
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मिशन कमांडर: पेगी व्हिटसन (अमेरिका)
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पायलट: शुभांशु शुक्ला (भारत)
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मिशन स्पेशलिस्ट्स: स्लावोस उज़नांस्की (पोलैंड) और
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टिबोर कापू (हंगरी)
यह टीम ISS पर दो हफ्तों तक रहेगी और कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगी।
कैसे होता है स्पेस में डॉकिंग
Crew Dragon कैप्सूल को ISS से जुड़ने में कई जटिल चरणों से गुजरना पड़ा। पहले ISS की गति और ऊंचाई से मेल करने के लिए कई ऑर्बिटल मैनूवर्स किए गए। फिर, LIDAR और कैमरों की मदद से स्वचालित तरीके से कैप्सूल को ISS के डॉकिंग पोर्ट से जोड़ा गया।
डॉकिंग के बाद सुरक्षा जांच, दबाव परीक्षण और डेटा कनेक्शन की पुष्टि के बाद ही अंतरिक्ष यात्री स्टेशन के अंदर गए।
Axiom Mission 4 aboard the @SpaceX Dragon docked to the station at 6:31am ET today. Soon the Ax-4 astronauts will open the hatch and greet the Exp 73 crew live on @NASA+. More… https://t.co/XmWYPa4BhT pic.twitter.com/LjjMd7DfmW
— International Space Station (@Space_Station) June 26, 2025
भारतीय वैज्ञानिकों के प्रयोग
शुभांशु शुक्ला ISS पर भारत के 7 प्रयोग करेंगे, जो सैकड़ों भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने तैयार किए हैं। ये प्रयोग microgravity यानी सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव मनुष्यों और अन्य जीवों पर समझने के लिए किए जा रहे हैं।
मिशन के दौरान कुल 60 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रयोग किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य अंतरिक्ष में जीवन और विज्ञान की समझ को आगे बढ़ाना है।
एक नया युग, एक नया लक्ष्य
जहां पहले का ‘स्पेस रेस’ सिर्फ झंडा गाड़ने तक सीमित था, Axiom-4 जैसे मिशन अंतरिक्ष में लंबे समय तक मानव मौजूदगी और वैज्ञानिक विकास को आगे बढ़ा रहे हैं। यह मिशन भविष्य में चांद के पार मानव यात्रा की दिशा में एक अहम कदम है।
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह दिखाती है कि अब हम भी गंभीर अंतरिक्ष अनुसंधान में एक मजबूत भागीदार बन चुके हैं।