नई दिल्ली/कोलकाता: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने सोमवार को घोषणा की कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का दूसरा चरण मंगलवार से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू होगा, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इन राज्यों की मतदाता सूचियां सोमवार रात 12 बजे से “फ्रीज” कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा, “सूची में शामिल सभी मतदाताओं को बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) द्वारा यूनिक एन्यूमरेशन फॉर्म दिए जाएंगे, जिनमें वर्तमान मतदाता सूची से संबंधित सभी आवश्यक विवरण होंगे।”
कुमार ने यह भी बताया कि 2002 से 2004 तक की मतदाता सूची भी voters.eci.gov.in वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगी, जहां नागरिक स्वयं मिलान कर सकेंगे।
पहला चरण बिहार में पूरा हो चुका है, जो नवंबर में चुनावी प्रक्रिया में जाएगा। गौरतलब है कि पिछला व्यापक SIR लगभग दो दशक पहले हुआ था।
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— Election Commission of India (@ECISVEEP) October 27, 2025
विपक्ष का विरोध
निर्वाचन आयोग के इस कदम पर कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने आरोप लगाया कि SIR एक “साजिश” है, जिसके जरिए नागरिकों के मतदान अधिकार छीने जा रहे हैं। उन्होंने बिहार के उदाहरण का हवाला दिया, जहां यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और अदालत ने निर्वाचन आयोग को आधार कार्ड को वैध पहचान पत्र मानने का निर्देश दिया था।
पश्चिम बंगाल में, जहां भाजपा 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तैयारी में जुटी है, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा है कि वह किसी भी “वैध मतदाता का नाम हटाने” की अनुमति नहीं देगी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिन्होंने पहले कहा था कि वह बंगाल में SIR नहीं होने देंगी, बाद में अपने रुख में नरमी लाते हुए बोलीं कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि “किसी भी वास्तविक नागरिक के मतदान अधिकारों से उसे वंचित न किया जाए।”
यह मतदाता सूची संशोधन ऐसे समय हो रहा है जब देश की राजनीति चुनावी मोड में है—जहां निर्वाचन आयोग पारदर्शिता का दावा कर रहा है, वहीं विपक्ष संभावित मताधिकार हनन की चेतावनी दे रहा है।

