कहां गया यूरेनियम…?

400 किलो यूरेनियम का रहस्य : कहीं ईरान ने पहले ही तो नहीं छिपा दिया ?                                                               … IAEA भी ‘अंधेरे’ में

  • आशीष सिन्हा  


ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिका के जोरदार हवाई हमलों के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है — ईरान का खतरनाक यूरेनियम भंडार कहां गया?

पिछले हफ्ते अमेरिका ने “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत फोर्डो, नतांज और इस्फहान न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया। दावा किया गया कि इससे ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह बर्बाद हो गया। लेकिन अब गुप्त अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट कहती है कि ईरान की परमाणु गतिविधियों में बस कुछ महीनों की देरी होगी — यानी हमले से जितना नुकसान होना चाहिए था, उतना हुआ नहीं।

इसराइल, जो इस ऑपरेशन का एक अहम साझेदार था, मानता है कि हमला कारगर रहा, लेकिन इसके बावजूद चिंता की असली वजह कुछ और है — ईरान के पास मौजूद 400 किलो हाई-ग्रेड यूरेनियम जो 60% तक संवर्धित (enriched) था, वो अब नजर नहीं आ रहा।

कहां गायब हो गया यूरेनियम?

IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के डायरेक्टर राफेल ग्रोसी ने कहा कि फोर्डो साइट पर मौजूद सेंट्रीफ्यूज शायद बर्बाद हो गए हैं, लेकिन यूरेनियम का स्टॉक नष्ट हुआ या पहले ही कहीं और भेज दिया गया — ये अब तक साफ नहीं हो पाया है।

ग्रोसी ने चेतावनी दी है कि ईरान चाहे तो कुछ ही महीनों में दोबारा यूरेनियम संवर्धन शुरू कर सकता है। इससे पहले कि दुनिया कुछ समझे, ईरान फिर से परमाणु बम की दिशा में बढ़ सकता है।

सैटेलाइट से मिला सुराग, खुफिया एजेंसियों की आशंका

मैक्सर टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट इमेज में 19-20 जून को फोर्डो साइट के बाहर 16 ट्रकों की मौजूदगी दिखी है — यह ऑपरेशन शुरू होने से ठीक पहले की बात है। न्यूयॉर्क टाइम्स और रॉयटर्स ने खुफिया सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ईरान ने हमला होने से पहले ही यूरेनियम भंडार सुरक्षित जगह पहुंचा दिया था।

एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने बताया कि “लगभग पूरा स्टॉक पहले ही शिफ्ट कर दिया गया था।” IAEA इस पर कोई पुष्टि नहीं कर पा रही है क्योंकि हमले के बाद से ईरान ने इंटरनेशनल इंस्पेक्टर्स को साइट्स पर जाने से रोक दिया है।

ईरान का जवाब: “हम किसी से डरते नहीं”

ईरान के डिप्टी विदेश मंत्री तख्त रावंशी ने साफ कहा, “कोई हमें ये नहीं बता सकता कि हम क्या करें और क्या न करें।” वहीं सुप्रीम लीडर के सलाहकार अली शमखानी ने कहा, “अगर साइट्स खत्म भी हो गईं, तो ज्ञान, तकनीक और हमारा इरादा जिंदा है।”

अब ‘हंट फॉर यूरेनियम’ शुरू

IAEA के पूर्व चीफ इंस्पेक्टर ओल्ली हेनोनेन ने कहा कि यह जांच बेहद लंबी, पेचीदा और थकाऊ हो सकती है। “कुछ यूरेनियम मलबे में दबा हो सकता है, कुछ नष्ट हो गया हो या फिर जानबूझकर छुपा दिया गया हो।”

अगर 400 किलो यूरेनियम का कुछ हिस्सा भी मिसिंग है, तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। यह मात्रा कम से कम 9 परमाणु बम बनाने के लिए काफी है, अगर इसे 90% तक संवर्धित किया जाए।

फिर गूंजा ‘इराक वॉर’ जैसा डर

अमेरिका और इसराइल अब ईरान पर दबाव बना रहे हैं कि वो बताएं कि यूरेनियम का क्या हुआ। लेकिन IAEA की जांच रुकी हुई है और ईरान कुछ भी बताने को तैयार नहीं।

2003 में इराक में ‘WMD’ (Weapons of Mass Destruction) की नाकाम तलाश अब लोगों को याद आ रही है। कहीं एक और ‘झूठ के हथियारों’ की कहानी तो नहीं बन रही?

फिलहाल, पूरा मामला रहस्य बना हुआ है — यूरेनियम है कहां? कोई नहीं जानता।

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