ISRO की मानवरूपी रोबोट ‘व्योममित्रा’ तैयार, गगनयान मिशन में होगी भारत की पहली स्पेस फ्रेंड
भारत का अंतरिक्ष सपना अब और करीब है। इस बार रॉकेट में कोई इंसान नहीं, बल्कि एक बोलने–सुनने वाली रोबोट ‘व्योममित्रा’ (Vyommitra) उड़ान भरेगी। यह भारत की पहली मानवरूपी (humanoid) रोबोट है, जिसे ISRO ने खास तौर पर गगनयान मिशन के लिए तैयार किया है।
अंतरिक्ष में भारत की ‘मित्र’
‘व्योममित्रा’ नाम दो संस्कृत शब्दों से बना है — व्योम यानी आकाश और मित्र यानी दोस्त। ठीक वैसे ही, यह रोबोट अंतरिक्ष में भारत के अंतरिक्षयात्रियों की दोस्त बनने जा रही है। वह बोलेगी, सुन सकेगी, कंट्रोल पैनल चलाएगी, और अंतरिक्षयान के अंदर की स्थिति पर नजर रखेगी।
वह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बात कर सकती है, इंसान जैसी आवाज़ में जवाब देती है और अपने दोनों हाथों से कंट्रोल बटन व स्विच भी चला सकती है।
कहाँ बनी है Vyommitra (‘व्योममित्रा’)?
यह खास रोबोट भुवनेश्वर के सेंट्रल टूल्स एंड ट्रेनिंग सेंटर (CTTC) में बनाई गई है। इसे मानवीय शरीर जैसा डिजाइन किया गया है — सिर, दो हाथ और आधा धड़।
इसकी कीमत लगभग 40–50 लाख रुपये है और इसे तैयार करने में सिर्फ चार महीने लगे। सीटीटीसी के इंजीनियरों ने बताया कि यह रोबोट तापमान, वायुदाब और ऑक्सीजन जैसे आंकड़े लगातार मिशन कंट्रोल तक भेजेगी। इसकी दो साल की ऑपरेशनल लाइफ तय की गई है।
सीटीटीसी के सीनियर प्रोडक्शन मैनेजर आसिक रसीद ने बताया,
“व्योममित्रा भारत की पहली ह्यूमनॉइड है जो अंतरिक्ष में जाएगी। यह रोबोट असली अंतरिक्ष स्थितियों की जानकारी भेजेगी, ताकि भविष्य में मानव मिशनों के लिए सब कुछ सुरक्षित बनाया जा सके।”
हाई-टेक डिज़ाइन और दमदार मटेरियल
इस रोबोट के कई हिस्से 3D प्रिंटिंग तकनीक से बने हैं — एल्यूमिनियम, स्टेनलेस स्टील और टाइटेनियम से। इसे खास तौर पर अत्यधिक तापमान और रेडिएशन झेलने लायक बनाया गया है।
सीटीटीसी के प्रोडक्शन मैनेजर के. विजय कुमार ने बताया,
“व्योममित्रा के स्ट्रक्चरल पार्ट्स 3D प्रिंटिंग से बनाए गए हैं। लगभग दो साल के रिसर्च के बाद यह डिज़ाइन फाइनल हुआ।”
सीटीटीसी पहले भी चंद्रयान मिशन, मिसाइल प्रोजेक्ट्स और एमआईजी विमान के लिए अहम पुर्ज़े बना चुका है।
गगनयान मिशन में अहम भूमिका
मानव मिशन से पहले, व्योममित्रा गगनयान की पहली बिना-मानव उड़ान में जाएगी। कुछ दिन पहले ISRO के प्रमुख वी. नारायणन ने कोयंबटूर में मीडिया से बातचीत में बताया कि इस दिसंबर, पहले बिना-मानव मिशन में व्योममित्रा को इंसान की जगह भेजा जाएगा। उन्होंने आगे कहा, “यदि यह मिशन सफल रहा, तो अगले साल दो और बिना-मानव मिशन किए जाएंगे।”
व्योममित्रा का काम होगा यान के सिस्टम्स की जांच करना — जैसे लाइफ सपोर्ट, कम्युनिकेशन, और नेविगेशन। जो भी डेटा वह भेजेगी, उसी पर भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों की उड़ान तय होगी।
भारत की नई पहचान
‘व्योममित्रा’ सिर्फ एक रोबोट नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। जब रॉकेट का काउंटडाउन शुरू होगा और इंजन दहाड़ेंगे, तब इस भारतीय स्पेस-फ्रेंड की आवाज़ गूंजेगी —
“All systems go, mission nominal!”