जानिए क्यों भारतीय दवाइयाँ, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स अमेरिका के 25% टैरिफ में नहीं हैं शामिल

अमेरिका ने भारत से आने वाले लगभग सभी उत्पादों पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का फैसला किया है, जो 7 अगस्त 2025 से लागू हो रहा है। लेकिन इस कड़े फैसले के बावजूद, कुछ बेहद अहम भारतीय सामान — जैसे कि दवाइयाँ, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक सामान और मेडिकल उपकरण — इस भारी शुल्क से बचाए गए हैं। आखिर ऐसा क्यों हुआ?

किन-किन भारतीय उत्पादों को छूट मिली है?

विशेषज्ञों और सरकारी सूत्रों के मुताबिक, निम्नलिखित भारतीय उत्पादों को 25% टैरिफ से छूट दी गई है:

  • दवाइयाँ और API (Active Pharmaceutical Ingredients)

  • स्मार्टफोन और मोबाइल उपकरण

  • कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स (जैसे लैपटॉप, टैबलेट, ईयरफोन आदि)

  • सेमीकंडक्टर और हाई-टेक चिप्स

  • मेडिकल डिवाइसेस और टेस्ट किट्स

  • सॉफ्टवेयर और आईटी हार्डवेयर का कुछ हिस्सा

यह छूट ऐसे समय दी गई है जब भारत से करीब $85 बिलियन डॉलर का सामान अमेरिका को एक्सपोर्ट होता है।

आखिर क्यों मिली छूट?

1. अमेरिका को भारतीय दवाइयों की ज़रूरत

भारत दुनिया को दवाइयाँ सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश है। अमेरिका की करीब 30% जेनेरिक दवाइयाँ भारत से जाती हैं।
अगर इन पर टैरिफ लगाया जाता, तो अमेरिका में दवाइयाँ महंगी हो जातीं और आम लोगों को परेशानी होती।
इसलिए अमेरिकी सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा के नाम पर इस सेक्टर को छूट दी।

2. टेक्नोलॉजी और स्मार्टफोन पर निर्भरता

भारत में आज कई ग्लोबल कंपनियाँ जैसे एप्पल, सैमसंग अपने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सामान बनवा रही हैं।
अगर अमेरिका इन पर टैरिफ लगाता, तो खुद के बाज़ार में इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ जातीं।
इसी वजह से टेक लॉबी के दबाव में अमेरिका ने इस क्षेत्र को भी छूट दे दी।

3. सेमीकंडक्टर और आईटी सेक्टर की अहमियत

भारत और अमेरिका के बीच हाई-टेक और सेमीकंडक्टर सेक्टर को लेकर खास समझौते हैं।
अमेरिका नहीं चाहता कि इन महत्वपूर्ण टेक सप्लाई चेन पर असर पड़े।
इसलिए चिप, सेंसर और आईटी हार्डवेयर को टैरिफ से बाहर रखा गया है।

4. मेडिकल उपकरण और टेस्ट किट्स की ज़रूरत

कोविड महामारी के बाद अमेरिका अब मेडिकल सुरक्षा को लेकर और ज़्यादा सतर्क हो गया है।
भारत से आने वाले सर्जिकल उपकरण, डायग्नोस्टिक किट्स और हेल्थकेयर डिवाइसेस को भी इस वजह से राहत दी गई।

भारत की तैयारी और रणनीति

भारत सरकार ने अमेरिका के साथ पीछे के दरवाज़े से बातचीत करके इन अहम क्षेत्रों को पहले से ही सुरक्षित करने की कोशिश की थी
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत की ओर से करीब $25 बिलियन डॉलर मूल्य के प्रोडक्ट्स को छूट की मांग की गई थी।
कुछ हद तक यह रणनीति कामयाब रही, खासकर दवाइयों और इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में।

बाकी सेक्टरों का क्या?

  • कपड़ा, गहने, ऑटो पार्ट्स, पेट्रोकेमिकल्स और चमड़े के उत्पादों पर अब 25% टैरिफ लगेगा।

  • इससे इन क्षेत्रों को निर्यात में झटका लग सकता है और रोज़गार पर असर पड़ सकता है।

  • Global Trade Research Initiative (GTRI) का अनुमान है कि भारत का अमेरिका को निर्यात 30% तक घट सकता है

निष्कर्ष

भले ही अमेरिका ने भारत पर बड़ा टैरिफ लागू कर दिया हो, लेकिन उसने कुछ ज़रूरी और रणनीतिक प्रोडक्ट्स को छूट भी दी है।
दवाइयाँ, स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे उत्पादों की अमेरिका को ज़रूरत है — और शायद यही वजह है कि व्यापार में ‘कड़ाई’ के बीच भी कुछ ‘समझदारी’ दिखाई गई है।

भारत अब इस चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश में है — नए बाज़ार तलाश कर, और घरेलू निर्माण को मज़बूत करके।

Ashis Sinha

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