चिन्मय विद्यालय, बोकारो में दो दिवसीय किशोरावस्था शिक्षा कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन

बोकारो: चिन्मय विद्यालय बोकारो में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्वाधान में दो दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ विद्यालय के प्राचार्य सूरज शर्मा , मुख्य सूत्रधार डोलनचंपा बनर्जी , प्राचार्या डीएवी स्वागं एवं उप-प्राचार्य मनिषा शर्मा दिल्ली पब्लिक स्कूल बोकारो एवं चिन्मय विद्यालय के उपप्राचार्य नरमेंद्र कुमार के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यशाला का विषय था किशोरावस्था शिक्षा कार्यशाला की सूत्रधार डोलनचंपा बनर्जी ने सभी उपस्थित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में किशोरावस्था शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आयु ही बच्चे ,समाज, देश एवं परिवार का भविष्य निर्धारित करते हैं।

इसका मकसद युवाओं को सटीक जानकारी देना, स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित करना और वास्तविक जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए कौशल सीखना है । यह अवस्था 10 साल से 19 साल तक की छात्र-छात्राओं की होती है । इस दौरान यानी किशोरावस्था में ही तेजी से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और व्यावहारिक विकास होता है । हमें अपने शिक्षण पद्धति के माध्यम से सभी विषयों में ऐसे उदाहरण एवं तरीके से बच्चों को पढ़ना चाहिए कि उन्हें बात-बात में और विषय के अनुसार व्यवहारिक सामाजिक शिक्षा भी मिलती रहे ।

वही दिल्ली पब्लिक स्कूल की उप-प्राचार्य मनिषा शर्मा ने बच्चों को किशोरावस्था की उम्र में विभिन्न प्रकार की गलत आदतों से कैसे बचा जाए के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यही एक ऐसा उम्र है जिसमें बच्चे गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। यह आदतें हैं नशा करना , साइबर सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय विताना, गलत लोगों की संगति से प्रभावित होना। इन सभी चीजों में शिक्षक का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी रौल होता है । जिससे बच्चों के जीवन के भविष्य को संवारा जा सकता है।

दोनों ही रिसोर्स पर्सन ने अपने संबोधन से और विभिन्न प्रकार के गतिविधियों से पूरे कार्यशाला को प्रभावित बनाए रखा और कई ऐसे उदाहरण पेश किऐ जिसके माध्यम से शिक्षकों में शिक्षा पद्धति के प्रति नई ऊर्जा एवं ज्ञान का संचार प्राप्त हुआ । उन्होंने कहा कि आज के जमाने में इंटरनेट सिस्टम होने से बच्चे उसका सदुपयोग कम और दुरुपयोग ज्यादा कर रहे हैं। इसके लिए शिक्षकों एवं अभिभावकों को संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए ताकि बच्चे इसका सिर्फ सही उपयोग ही कर सके । विभिन्न प्रकार के सर्वे से पता चला है कि देश में हर 16 घंटे में हर व्यक्ति लगभग 150 बार अपने मोबाइल को देखा है और 23 बार कम से कम मैसेज को पड़ता है या भेजता है। उन्होंने किशोरावस्था को प्रभावी बनाने के लिए पॉवर मॉडल पर जोड़ दिया और इसे कक्षा में सकारात्मक तरिके से उपयोग करने कि बात कही। पी.ओ.डब्ल्यू.ई.आर मॉडल के माध्यम से कक्षा में प्रभावित करने का किया ।

P – Power
O – options
W – weigh
E – Elect
R – Reflect

कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के उप-प्राचार्य नरमेंद्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया एव संचालन सुप्रिया चौधरी ने सफलता पुर्वक किया। कार्यशाला में 60 से अधिक शिक्षक एवं शिक्षिकाऔ ने भाग लिया।

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