चिन्मय विद्यालय के तपोवन सभागार में छात्रो के लिए आयोजित लक्ष्य कि ओर कार्यशाला का शुभआरंभ चिन्मय मिशन नोयडा के आचार्य परमपुज्य स्वामी चिदरूपानंद सरस्वती , आचार्य चिन्मय मिशन चास स्वामी राघवानंदजी सरस्वती, आचार्या चिन्मय मिशन बोकारो स्वामिनी संयुक्तानंदा सरस्वती ,विद्यालय अध्यक्ष विश्वरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी एवं प्राचार्य सुरज शर्मा ने मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित कर किया
परम् पूज्य स्वामी चिदरूपानंद सरस्वती ने कक्षा ग्यारहवीं के छात्र छत्राओ को संबोधित करते हुए कहा कि लक्ष्य दो प्रकार के होते है एक जिंदगी में लक्ष्य और दूसरा जिंदगी का लक्ष्य। जब अपने जिंदगी में लक्ष्य को समावेश कर अनुशासन के साथ बढ़ते हैं तो यह जिंदगी का लक्ष्य बन जाता है।
उन्होंने लक्ष्य को पाने के लिए चार चीजों पर ध्यान देने की बात कही। वो है सजगता, सकारात्मक सोच, सही व्यवहार एवं सही ईरादा। आज अभिभावक एवम समाज के द्वारा बच्चों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बना दिया जाता है। लक्ष्य के निर्धारण के बाद अनुशासन के अनुरूप कार्य करने से सफलता तो मिलती है साथ मे उसके गुणवत्ता का स्तर बहुत उच्च होता है।
हमे नकारात्मक सोच से बाहर रहना चाहिए और अत्यधिक दोस्ती से भी दूर रहना चाहिए। इस से संबधित स्वामी जी ने कई रोचक उदाहरण देकर बच्चो को समझाया। स्वामी जी ने सभी बच्चों को उनके उज्जवल भविष्य की कामना की एवम ढेरो आशीष दिया।
आज दूसरे सत्र में स्वामी चदरूपानंद सरस्वती ने विद्यालय के शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज, राष्ट्र एवम व्यक्ति के जीवन की सारी समस्याओं का समाधान कुशल शिक्षकों के हाथ मे है। सही शिक्षा केवल अकादमिक ज्ञान नही होता बल्कि इसके अलावा और भी है। सही शिक्षा का अर्थ है कि व्यक्ति शिक्षित होकर एक सफल एवम सार्थक जीवन जिये। आज की शिक्षा प्रतियोगिता को बढ़ावा देती है, लेकिन जीवन मे हुए बदलाव, समाज में हुए बदलाव एवम व्यक्तिगत स्तर पर हो रहे तनाव में कैसे सामंजस्य स्थापित हो उसकी कोई शिक्षा नही ।
उन्होंने कहा कि हमे ये सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा के क्षेत्र में सिर्फ धन प्राप्त करना नही है बल्कि यह एक पवित्र सेवा है, ईश्वर की सेवा है। इसे सेवा भाव से ऐसे अपनाए ओर अभिरुचि के अनुसार अपनावें। आप खुद पर गर्व करें कि आप एक शिक्षक है। शिक्षक अपने जीवन मे पुनीत कर्तव्यों का पालन कर समाज को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
एक शिक्षक के उपर समाज और देश के निर्माण की बड़ी जिम्मेदारी होती है। शिक्षक को अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करने में कभी संकोच नहीं करनी चाहिए। शिक्षकों का छात्रों के साथ ऐसा संबंध हो कि वो अपनी समस्या या बात आपसे बेझिझक कहे।