इस्पात मंत्री ने पूर्वी भारत में सेल स्टील प्लांट और माइंस का दौरा किया; मिशन पूर्वोदय को भी दिया बढ़ावा

नई दिल्ली : माननीय केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने सेल के बोकारो स्टील प्लांट, सेल की रॉ मटीरियल्स डिवीजन के विभिन्न खानों और रांची स्थित रिसर्च एंड डिवलपमेंट सेंटर आयरन एंड स्टील काअपने झारखंड यात्रा के समय दौरा किया। सेल के लिए बोकारो संयंत्र और पूर्वी क्षेत्र में स्थित खानों का संचालन महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय इस्पात नीति – 2017 में परिकल्पित देश के 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन के लक्ष्य के अनुरूप, सेल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए कमर कस रहा है। और इस लक्ष्य को साकार करने में ये इकाइयां अहम भूमिका निभाएंगी। सेल अपनी संपूर्ण लौह अयस्क आवश्यकताओं को अपनी खानों से पूरा करता रहा है; विस्तारीकरण के बाद, ये खदानें सेल के लौह अयस्क की बढ़ी हुई आवश्यकता को पूरा करने में एक बड़ी भूमिका निभाएंगी।

अपनी यात्रा के दौरान माननीय मंत्री ने इस्पात उत्पादन की प्रक्रिया को देखा और उसमें गहरी दिलचस्पी ली। उन्होंने बोकारो इस्पत संयंत्र के कार्मिकों के साथ बातचीत की और उनके योगदान के लिए उनकी सराहना करते हुए, उन्हें अच्छे काम को जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने टीमवर्क के महत्व पर जोर देते हुए उनसे सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की अपील की।इसके साथ ही उन्होंने सेल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने संयंत्र के उत्पादन, परियोजनाओं और सीएसआर गतिविधियों की समीक्षा की।

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित मिशन “पुर्वोदय”  पर ज़ोर देते हुए श्री प्रधान ने राष्ट्रीय विकास के लिये देश के पूर्वी क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया। श्री प्रधान ने सेल के रॉ मटेरियल डिवीजन (आरएमडी) की विभिन्न खानों का भी दौरा किया, जिसमें गुआ ओर माइंस, किरीबुरू आयरन ओर माइन्स, मेघाहातुबुरु आयरन ओर माइंस, और बोलानी ओर माइंस शामिल हैं। खानों का दौरा करते समय मंत्री ने खानों के संचालन और प्रबंधन को समझने में गहरी दिलचस्पी ली। श्री प्रधान ने खदान के आसपास सेल द्वरा चलाई जा रही विभिन्न सीएसआर परियोजनाओं का भी दौरा किया, जिसमें एकलव्य तीरंदाजी अकादमी, सुवन छत्रवास और किरण महिला सशक्तिकरण केंद्र शामिल थे। उन्होंने छात्रों के साथ बातचीत की और उन्हें जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। श्री प्रधान ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए इस्पात संयंत्रों के लिए लौह अयस्क की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु खानों के और अधिक विकास के लिए कहा।

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