चीन की विस्तारवादी नीति, विश्व के लिए एक बड़ा खतरा : इंद्रेश कुमार

रांची। चीन की विस्तारवादी नीति विश्व के लिए एक बडा खतरा है। दुनिया के अधिकांश देश अब चीन की इस मंशा से वाकिफ हैं। एशिया महाक्षेत्र में बीते कुछ दशकों में चीन ने अपनी विस्तारवादी एजेंडे को जिस तरह बढ़ाया है और इसके लिए उसने जो दमनकारी नीति व आर्थिक प्रलोभन देने का जो जाल बुना है, वह अब पूरी दुनिया के सामने उजागर हो गई है। यह कहना है फैन्स (फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी ) के राष्ट्रीय संरक्षक व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल सदस्य इंद्रेश कुमार का।

वे आज फैन्स की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत के समक्ष चुनौतियां एवं चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर एक देशव्यापी वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों की सीमाओं पर निरंतर अतिक्रमण करना और विश्व में अशांति फैलाना चीन के विस्तारवादी, आसुरी और तानाशाही चरित्र को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यदि इसके खिलाफ अभी से सचेत होकर समुचित कदम नहीं उठाए तो चीन का विस्तारवाद केवल हिमालयी क्षेत्रों व भारत के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व के लिए हाहाकार वाला होगा। हो सकता है कि इससे भारत जैसे कुछ एशियाई देशों के समक्ष आने वाले सालों में काफी चुनौतियां होंगी, लेकिन समय रहते इससे निपटने के लिए उपाय एवं उपचार कर लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत ने आज लद्दाख, लाहौल स्पीति में मजबूत रणनीति बनाई, हालांकि चीन ने इसका विरोध किया। गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच झड़प के दौरान एवं उससे पहले भी भारत सरकार की कूटनीति ने चीन को झकझोर कर रख दिया है। चीन को एलएसी पर हद में रहना चाहिए। इन हालातों में भारत की जनता को जागरुक होकर चीन का कड़ा विरोध करना चाहिए। आज भारत ने चीनी सेना कड़ा सबक सिखाया है, इसलिए दुनिया भी आज भारत के साथ है। चीन की ओर पेश की जा रही चुनौतियों के खिलाफ वैश्विक एकता जरूरी है। यह युदध की विभीषिका में न बदले, इसलिए चीन की हर हरकत पर लगाम लगाना जरूरी है।

इंद्रेश ने यह भी कहा कि चीन की गुलाम बनाने की प्रवृत्ति से विश्व को सजग रहने की जरूरत है। तिब्बत कभी चीन का भू-भाग नहीं था, लेकिन उसकी दमनकारी नीतियों के कारण समस्या उत्पन्न हुई है। चीन की साम्राज्यवादी व विस्तारवादी नीति के कारण ही तिब्बत गुलाम रहा। तिब्बत की स्वायत्तता व आजादी के लिए अब हमें और गंभीरता से पहल करनी होगी।

उन्होंने कहा कि चीन लगातार साम्राज्यवादी नीतियों को अपनाते हुए अपने पड़ोसी देशों पर दबाव बनाता है और उनकी जमीनों पर कब्जा करता है। चीन ने अपनी सेनाओं, राजनीतिक व कूटनीति संशाधनों को इस विस्तारवादी खेल में संलिप्त कर रखा है। वह भारत पर भी इसी प्रकार का दबाव पिछले कई सालों से बनाता आ रहा है। मगर अब केंद्र में एक मजबूत सरकार (मोदी सरकार) होने के चलते रणनीतिक तौर पर स्थितियों में काफी सकारात्मक बदलाव हुआ है। मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों को अब बदल दिया है, इसलिए भी चीन बौखला गया है।

आज का भारत, पाकिस्तान को सबक सिखाने के साथ-साथ चीन को भी कड़ा संदेश दे रहा है। लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में भी भारत का चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है। भारत जब अपनी सीमाओं की निगहबानी को मजूबत कर रहा है तो चीन की कुटिलता को कड़ी चुनौती मिलने लगी है। उन्होंने कहा कि चीन को ड्रैगन का नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि चीन के हाथ सदा खून से सने रहे हैं और निर्दोष लोगों का खून बहाना इसकी पुरानी आदत है। मानवीय जीवन प्रणाली में चीन का कभी विश्वास रहा ही नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एकता व अखंडता के लिए तिब्बत की आजादी जरूरी है। ऐसा होगा तो ही देश की सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षित होंगी। आज चीन की विस्तारवादी नीतियों से पूरी दुनिया अवगत है। तिब्बत की आजादी को लेकर जनजागरण अब जोर पकड़ रहा रहा है। तिब्बत की आजादी से भारत को कई फायदे होंगे। पहला फायदा यह होगा कि सीमा पर शांति स्थापित हो जाएगी। इसके साथ ही ताइवान, हांगकांग में भी स्वतंत्रता बेहद जरूरी है। मौजूदा समय में वहां के अशांत हालात चीन की ही देन है। आज चीनी विस्तारवाद से मुक्त नेपाल, तिब्बत की जरूरत है। इसे जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए। हांगकांग के आंदोलन को भी समर्थन देने की जरूरत है। यदि हांगकांग की घटना पर दुनिया की ताकतें चुप रही तो यह संकट बढ़ेगा।

दक्षिण चीन सागर में भी चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। यहां चीन जबरन वियतनाम की समुद्री सीमा में घुसपैठ कर रहा है। इसी विस्तारवाद एवं साम्राज्यवाद की वजह वह जापान, वियतनाम, अमेरिका जैसे देशों से भिड़ रहा है एवं दुनिया को चुनौती दे रहा है। दक्षिण चीन सागर में चीन की हरकतों पर लगाम बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण चीन सागर को पूर्वी सागर या मलय सागर का नाम देना चाहिए। दक्षिण चीन सागर हर हाल में चीन के कब्जे से मुक्त होना चाहिए। इस क्षेत्र में चीन की कुटिल योजनाओं को विफल करने के लिए कूटनीतिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक शक्तियों को पूरी तरह सावधान रहना चाहिए। दूसरों की जमीन हड़प कर अपना क्षेत्र विस्तार करना चीन की पुरानी नीति रही है. यही वजह से चीन का अपने तकरीबन सभी पड़ोसियों से सीमा विवाद है। यही नहीं, चीन का सीमा को लेकर जापान, रूस और वियतनाम से टकराव चल रहा है।

उन्होंने कहा कि चीन ने 21वीं सदी में जैव शस्त्र का इस्तेमाल किया और जिसकी सजा आज पूरी दुनिया भुगत रही है। पूरा विश्व हाहाकार कर रहा है, करोडों लोग संक्रमित हो गए और लाखों लोग मारे गए हैं। बिना किसी विस्फोटक का इस्तेमाल किए चीन ने पूरी दुनिया को निशाने पर ले लिया। यह चीन की सुनियोजित चाल एवं गहरी साजिश है। कोरोना वायरस को चीन की पैदाइश बताते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने पूरे विश्व को मौत के कुएं में डाल दिया है और यह मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक महामारी चीन द्वारा मानव निर्मित व उसके विस्तारवादी नीति के पोषण के लिए जैविक हथियार के रूप में विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत में एक कुशल एवं सशक्त नेतृत्व के कारण इस महामारी से भारत अपने आप को सुरक्षित करने में सफल रहा। कोरोना को हराने में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस वैश्विक महामारी ने चीन के अमाननीय चेहरे को भी विश्व पटल पर बेनकाब किया है। चीन ने आज जैव शस्त्र बनाने की प्रणाली को अपने लैब में प्रतिष्ठापित कर लिया है। इसके खिलाफ अब दुनिया को मिलकर नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।

ताइवान और हांगकांग पर कब्जा करने की चीन की कोशिश, पाकिस्तान के गवाहदार सी पोर्ट पर विकास के नाम पर कब्जा लेना, पाकिस्तानी हुक्मरानों का मुंह पैसा देकर बंद करवा देना, नेपाल की शासकीय कम्युनिस्ट पार्टी को पैसे और सुरक्षा के लालच देकर नेपाल को चीन के हाथों गिरवी रखवा देना, यह सब चीन की विस्तारवादी नीति और तानाशाही सोच के उदाहरण है। चीन की क्रूरता पर रोक लगाना भारत, एशिया और पूरे विश्व का कर्तव्य है।

इंद्रेश ने कहा कि चीन पहले हिमालय से बहुत दूर था लेकिन आज वह वहां पर आकर बैठ गया है। उसकी विस्तारवादी नीतियों से नेपाल, भूटान की स्वतंत्रता को भी खतरा है और भारत की अखंडता को भी खतरा। उन्होंने कहा कि नेपाल और भूटान में भी लोग चीन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। चीन की गतिविधियों पर टिप्पणी करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा की चीन हमारे पड़ोसियों जैसे नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, पाकिस्तान को पैसे से खरीद कर या उनको प्रभावित कर भारत को घेरने में लगा हुआ है, लेकिन चीन की चाल सफल नहीं होगी। चीन ने नेपाल को भी धोखा देते हुए उसकी जमीन हथिया ली है। नेपाल में भारत विरोध चीन ने ही पैदा किया है, यह उसकी सोची समझी चाल है। नेपाल को गुलामी के बंधन में बांधने की कोशिश है। चीन की विस्तारवादी नीतियां अब नेपाल के आम लोगों को समझ में आ रही है। चीन की विस्तारवादी नीतियां पाकिस्तान को भी एक दिन निगल जाएंगी। उसने पाकिस्तान का भी भारत विरोध के लिए इस्तेमाल किया। भूटान को छोड़कर मालदीव, श्रीलंका समेत भारत के सभी पड़ोसी देशों को चीन ने अपने जाल में फंसाया, लेकिन अब उसे इन जगहों पर कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। उसने अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए सैन्य शक्ति एवं कूटनीति का सहारा लिया और आर्थिक जाल बिछाया।

चीन ने अब तक भारत, एशिया और विश्व के प्रति अमानवीय और हिंसा का रुख अपना रखा है। चीन विस्तारवादी, साम्राज्यवादी और हिंसक नीतियों पर चल रहा है। चीन को सही रास्ते पर लाने के लिए उसके आर्थिक साम्राज्य की कमर तोड़नी जरूरी है। वैश्विक पटल पर चीन का आर्थिक बहिष्कार बेहद जरूरी है। आज यह बेहद जरूरी हो गया है कि भारत अपने दम पर उत्पादों में अग्रणी बने और आत्मनिर्भर बनने के लिए कड़े कदम उठाए।

उन्होंने कहा कि भारत, एशिया व विश्व में शांति लाने के लिए चीन की विस्तारवादी नीति को रोकना आवश्यक है। इस राक्षणवाद से लड़ने के लिए वैश्विक ताकतों को एकजुट होना होगा। पूरब की सभ्यता से ही वैश्विक समस्या का समाधान निकलेगा। आज पूरा विश्व भारत की ओर आशा की नजर से देख रहा है। भारत हमेशा से विश्व शांति का पक्षधर रहा है। मानवता गुलामी में न बंध जाए, भूगोलों की अपनी स्वतंत्रता कायम रहे, इसलिए पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। आज आवश्यकता है जागृत होने, एकजुट होने, समर्णण व बलिदान देने के लिए। आज के इस कार्यक्रम से जनक्रांति को एक बड़ी ताकत मिलेगी।

वहीं, वेबिनार को संबोधित करते हुए जरनल आर एन सिंह ने कहा कि चीन के साथ अब संबंध निकट भविष्य में बेहतर नहीं होने वाला है। चीन का बेहतर तरीके से हर मोर्चे पर मुकाबला करने के लिए भारत को हर तरीके से मजबूत होना होगा। भारत को अपना रक्षा बजट बढ़ाना होगा। तिब्बत की आजादी के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को अब इस मसले पर गंभीरता से आगे बढ़ना होगा। फैन्स के राष्ट्रीय महामंत्री गोलोक बिहारी राय ने कहा कि हमें चीन पर निर्भरता कम करनी है। इसलिए जरूरी है कि भारत में उद्योग लगाने की नीतियां उदार की जाएं। छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाए, ताकि हम अपनी जरूरत की अधिक से अधिक चीजें बना सकें। विभिन्न निर्माण क्षेत्रों को अपने यहां बढ़ावा देने वाली नीतियां बनानी होंगी। लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों से झड़प के बाद दोनों मुल्कों में तनातनी बढ़ गई। भारत में अब चीनी सामान के बहिष्कार की मांग और जोर पकड़ने लगी है।

इस वेबिनार को सैन्य अधिकारियों, शिक्षाविदों समेत कई अन्य राष्ट्रीय वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस वेबिनार में देश की कई विख्यात हस्तियों ने शिरकत की। फैंस, झारखण्ड इकाई के उपाध्यक्ष एवं सरला बिरला विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ संदीप कुमार ने इस वेबिनार के अतयंत महत्वपूर्ण विषय का समन्वय किया। देश विदेश से शामिल गण्य मान्य लोगों के अलावा झारखण्ड से फैंस, झारखण्ड इकाई के अध्यक्ष पवन बजाज, संरक्षक एवं रांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अमर चैधरी, संरक्षक प्रो डॉ शहीद अख्तर प्रो डॉ एस एन एल दास, प्रो डॉ गौरी शंकर प्रसाद, डॉ राघवेंद्र श्रीवास्तव, राजा बागची,साकेत मोदी, रथिन भद्रा,मधुकर श्याम एवं अन्य लोग उपस्थित थे।

 

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