बोकारो : मैथिली साहित्यकारों की चर्चित संस्था ‘साहित्यलोक’ की मासिक रचनागोष्ठी रविवार की शाम सेक्टर 4 एफ में संयोजक अमन कुमार झा के आवास पर आयोजित हुई।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका व साहित्यकार डॉ निरुपमा कुमारी (झा) की अध्यक्षता में आयोजित इस रचना गोष्ठी में साहित्यकार भुटकुन झा ने मैथिली कविता ‘मधु पूर्ण भेलह वर्णन.. ‘, हिन्दी कविता ‘कोई तो है’, नीलम झा ने ‘नव वर्षक उद्गगार’, ‘पावनि-तिहार’, ‘अमृत गाथा’ व ‘आंसू’, डॉ रणजीत कुमार झा ने ‘बेटीक ब्यथा’, अमन कुमार झा ने मैथिली कहानी ‘तिल गुड़ बहब ने’, राजीव कंठ ने मैथिली कविता ‘आम लोकक कपार’ व ‘घोर कलियुग’, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’ ने मैथिली में ‘यशस्वी-मनस्वी’, ‘बाबा के अंगना सं हकार एलैया’, हिन्दी में ‘व घर उठे पुराने घर खसे का उत्तम हवाला है/ समय बदला बदला साफ नज़र आता है..’, अरुण पाठक ने अपनी मैथिली रचना ‘प्रकृति गीत’-प्रकृति बिना नहि जीवन बचतै… सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी।
अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए डॉ निरुपमा झा ने अपनी पहली मैथिली कविता ‘संक्रांति’ में त्योहार व बदलते दौर में मानवीय संवेदना के क्षरण को बहुत ही मार्मिक ढंग से रेखांकित किया। उन्होंने साहित्यलोक की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अन्य संस्थाओं से अलग है। इसकी मासिक गोष्ठियों में जो विशिष्टता है वह अन्यत्र दुर्लभ है।