# दिल में छेद और हृदय रोगियों को दूसरे राज्यों में इलाज हेतु जाने की जरुरत नहीं मेडिका हॉस्पिटल, रांची ने 13 मरीज़ों का किया निःशुल्क डिवाइस क्लोजर
अरुण पाठक
रांची : भगवान महावीर मेडिका हास्पीटल, रांची ने “मासूम धड़कन” कार्यक्रम के तहत एक ऐसा अनूठा कार्य किया है जो निजी अस्पताल की दुनिया के लिए अनोखा है। इसके तहत हृदय के छेद (ASO) VSD/PDA) से पीड़ित मरीजों की बिना चिरफाड़ के डिवाइस लगाकर बंद किया गया।
इस कार्यक्रम के सूत्रधार कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. धनञ्जय कुमार ने बताया कि कुछ समय पहले एक 5 साल का बच्चा दिल में छेद के साथ उनसे मिला, जिसे राज्य सरकार द्वारा राज्य से बाहर के अस्पताल में चिकित्सा के लिया भेजा जा रहा था, पर वह मरीज़ किन्ही कारणों से वहां नहीं पहुँच पाया और परिणाम यह हुआ कि अब उनसे दिल का छेद बंद नहीं किया जा सकता जिससे आयु काफी कम हो जायेगी. डॉ. धनञ्जय ने तब यह निश्चय किया कि ऐसी व्यवस्था बनायीं जाय जिससे राज्य से दिल के मरीज़ों का पलायन रुके. इस सोच को साथ मिला मेडिका प्रबंधन जैन समाज के अध्यक्ष पूरणमल जैन ने मिलकर पहल की रूपरेखा रखी.
डॉ. धनञ्जय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 3 साल के बच्चे से लेकर 36 साल तक के मरीज़ों का दिल का छेद सफलतापूर्वक बंद किया गया. सबसे चुनौतीपूर्ण 20 वर्षीय लड़की का 44 एमएम छेद को सबससे बड़ी साइज़ 46 एमएम डिवाइस से सफलतापूर्वक बंद किया गया.
मेडिका के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. विजय कुमार मिश्र ने बताया की इस तीन दिवसीय कार्यक्रम की तैयारी में सूक्ष्म बिंदुओं का ध्यान रखा गया. सभी मरीज़ों और परिजनों के भोजन, रहने की व्यवस्था जैन समाज भवन में की गयी थी. डॉ. विजय ने कहा कि हमें गर्व है कि मेडिका निजी अस्पतालों में पहला अस्पताल है जिसने अपनी सामाजिक-नैतिक दायित्व का प्रथम चरण सफलता पूर्वक पूरा किया है.
डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि इस इलाज में निजी अस्पताल में इलाज कराने पर एक मरीज पर लगभग 3 लाख लाख का खर्च आता है, जो की मेडिका में निःशुल्क किया गया. डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि कई मरीज़ों को डिवाइस लगाना संभव नहीं था उनकी जांच कर ऑपरेशन की तिथि निश्चित की गयी है. डॉ. रोहित कुमार ने बताया कि 3 दिनों तक कैथ लैब में लगातार मौजूद रहें और मरीज़ों की हर स्थिति पर ध्यान रखा.
जैन समाज के डॉ. वीके जैन और पद्म कुमार जैन ने बताया की जैन समाज आगे भी ऐसी पहगल करता रहेगा. उन्होंने झारखण्ड सरकार से अपील की की वे सरकार की तरफ से ह्रदय रोगियों को दूसरे राज्यों में न भेजे. मेडिका, रांची में सभी प्रकार की सुविधाएमं और अनुभवी डाक्टरों की टीम उपलब्ध है,13 सफल डिवाइस क्लोजर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है.
मेडिका कोलकाता में बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी कार्यक्रम मेडिका कोलकाता के बाल ह्रदय चिकित्सा कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले डॉ. अनिल सिंघी ने कहा कि मेडिका रांची एक व्यापक बाल हृदय चिकित्सा विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। उन्होंने पहल की सफलता की शुभकामनायें दी. मासूम धड़कन पहल को सफल बनाने में डॉ. अमित प्रकाश चंद्र, डॉ. लता भट्टाचार्य, डॉ. अलका, क्रिटिकल केयर की टीम का योगदान सराहनीय रहा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में हॉस्पिटल डायरेक्टर आबिद तौकीर, डीजीएम डॉ. दीपक मल्लिक और ब्रांड- मिडिया हेड भारती ओझा उपस्थित थे.