प्यार, कर्तव्य और किस्मत की एक दिल दहला देने वाली कहानी

 

पत्नी की आख़िरी इच्छा पूरी करने भारत आया था एनआरआई अर्जुन, पर बेटियों तक वापस न लौट सका

– आशीष सिन्हा

दिल को झकझोर देने वाली एक मार्मिक कहानी गुरुवार को हुए एयर इंडिया विमान हादसे से सामने आई है। लंदन में रहने वाले 36 वर्षीय एनआरआई अर्जुन पाटोलिया अपनी पत्नी भारती की आखिरी इच्छा पूरी करने भारत आए थे। लेकिन जब वो गुरुवार को लंदन लौटने के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट में बैठे, तो उन्हें क्या पता था कि ये उनकी ज़िंदगी की आखिरी उड़ान होगी।

भारती का निधन 26 मई को हुआ था। उनकी आखिरी ख्वाहिश थी कि उनकी अस्थियां गुजरात के अमरेली जिले के वाडिया गांव के तालाब में विसर्जित की जाएं। अर्जुन, जो अपने पीछे 8 और 4 साल की दो बेटियों को लंदन में छोड़ आए थे, भारत आए और पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी की।

घरवालों ने वाडिया गांव में कुछ दिन पहले ही भारती की प्रार्थना सभा रखी थी। अर्जुन ने सारे धार्मिक कर्मकांड पूरे किए और फिर गुरुवार को लंदन लौटने के लिए एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में सवार हुए। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास ही क्रैश हो गया, जिसमें 270 लोगों की मौत हो गई। अर्जुन भी उनमें से एक थे।

अनाथ हो गईं दो मासूम बेटियां

सिर्फ 20 दिन पहले मां को खो चुकी दो मासूम बच्चियां अब अपने पिता को भी खो चुकी हैं। अब उनके सिर पर माता-पिता दोनों का साया नहीं रहा। लंदन में परिवार के अन्य सदस्य बच्चों की देखरेख में लग गए हैं, लेकिन यह शोक पूरी दुनिया को झकझोर रहा है।

अर्जुन के पिता पहले ही गुजर चुके हैं और मां सूरत में रहती हैं। पड़ोसियों ने बताया कि परिवार इस दर्दनाक हादसे से गहरे सदमे में है।

एक चमत्कार – सिर्फ एक यात्री बचा

इस हादसे में जहां 270 लोगों की मौत हुई, वहीं एक चमत्कार भी हुआ। सीट नंबर 11A पर बैठे एकमात्र यात्री को जिंदा बचा लिया गया, और वह इस वक्त अस्पताल में इलाज के तहत है।

प्यार, कर्तव्य और किस्मत की एक दिल दहला देने वाली कहानी

अर्जुन पाटोलिया की ये कहानी सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि उस प्यार और ज़िम्मेदारी की मिसाल है, जो एक पति ने निभाई। लेकिन बदले में किस्मत ने उससे सब कुछ छीन लिया। अब दुनिया सिर्फ यह सोच रही है – काश ये उड़ान इतनी मनहूस न होती!

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