अरबपतियों (Billionaires) का नया खेल: क्यों बढ़ा रहे हैं अपना वंश (Biological Empires)?

अरबपतियों (Billionaires) का नया खेल: क्यों बढ़ा रहे हैं अपना वंश (Biological Empires)?
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अरबपति (Billionaires) कैसे बना रहे हैं ‘मेगा फैमिली’: IVF से विरासत तक

 

 

 

  • अरबपति और जन्म की नई राजनीति
  • जब प्रजनन निजी फैसला नहीं, भविष्य की रणनीति बन जाए

दुनिया के ज़्यादातर घरों में आज बच्चे पैदा करने का फैसला चिंता से भरा होता है — बढ़ती महंगाई, अस्थिर नौकरियाँ, घरों की कीमतें और काम का दबाव। इसी वजह से कई देशों में जन्म दर लगातार गिर रही है। आम लोग या तो माता-पिता बनने में देर कर रहे हैं या फिर इस विचार को टाल रहे हैं।

लेकिन समाज के सबसे ऊपरी पायदान पर एक बिल्कुल उलटी तस्वीर दिखती है। कुछ अरबपति जानबूझकर अपने जैविक परिवार को बड़ा कर रहे हैं — IVF, सरोगेसी और कानूनी-वित्तीय योजनाओं के ज़रिये। उनके लिए प्रजनन अब सिर्फ निजी मामला नहीं रहा; यह भविष्य की ताकत और प्रभाव को सुरक्षित करने की रणनीति बनता जा रहा है।

जहां आम लोग रुकते हैं, वहां पैसा रास्ता खोल देता है

जनसांख्यिकी विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि कई देश बूढ़ी आबादी और घटती कार्यशक्ति की ओर बढ़ रहे हैं। सरकारें प्रोत्साहन योजनाएँ लाती हैं, लेकिन आम परिवारों की बुनियादी परेशानियाँ जस की तस रहती हैं।

इसके उलट, अरबपतियों के सामने ये सीमाएँ लगभग बेअसर हैं। उनके पास दुनिया की सबसे उन्नत फर्टिलिटी तकनीक, अंतरराष्ट्रीय सरोगेसी नेटवर्क और महँगे कानूनी सलाहकार होते हैं। नतीजा यह है कि आज एक “प्रजनन खाई” बन रही है — जहां आम लोग एक बच्चे के खर्च से जूझते हैं, वहीं अमीर कई बच्चों की योजना बना सकते हैं।

अभिजात्य वर्ग (Elite’s Group) की ‘जनसंख्या चिंता’ (‘population concerns’)

इस बहस को खुलकर सामने लाने वालों में सबसे बड़ा नाम Elon Musk का है। वे बार-बार कहते रहे हैं कि गिरती जन्म दर सभ्यता के लिए बड़ा खतरा है। उनके बयान, जिन्हें वैश्विक मीडिया में खूब जगह मिली, यह संदेश देते हैं कि जिनके पास साधन हैं, उन्हें ज़्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए।

इस सोच को और आगे ले जाते हैं Pavel Durov, जो Telegram के संस्थापक हैं। दुरोव ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे स्पर्म डोनेशन और सरोगेसी के ज़रिये कई बच्चों के जैविक पिता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे IVF का खर्च उठाने को तैयार हैं और उनके सभी जैविक बच्चों को विरासत में शामिल किया जाएगा। यह बयान साफ दिखाता है कि प्रजनन को धन और विरासत से सीधे जोड़ा जा रहा है।

‘मेगा-परिवार’ (Mega Family) का उभरता चलन

चीन के कुछ अति-धनाढ्य लोगों पर की गई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग एक और तस्वीर पेश करती है। कई अमीर चीनी नागरिक अमेरिका जैसे देशों में IVF और व्यावसायिक सरोगेसी का सहारा लेकर बहुत बड़े परिवार बना रहे हैं। इसके पीछे बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ, ढीले कानूनी नियम और बच्चों को विदेशी नागरिकता मिलने की संभावना जैसे कारण बताए जाते हैं।

इससे सीमाओं के पार फैले ऐसे परिवार उभर रहे हैं, जिन्हें ट्रस्ट फंड और जटिल कानूनी ढाँचों के सहारे पीढ़ियों तक सुरक्षित किया जाता है।

कैसे बनता है यह ‘प्रजनन तंत्र’ (Reproductive System)

अत्यधिक धन एक पूरा तंत्र खड़ा कर देता है:

  • बार-बार IVF साइकिल,

  • अलग-अलग देशों में सरोगेसी अनुबंध,

  • बड़े पैमाने पर स्पर्म और एग डोनेशन,

  • दर्जनों उत्तराधिकारियों के लिए बनाए गए ट्रस्ट,

  • और डॉक्टरों, वकीलों व केयरगिवर्स की निजी टीमें।

यह सब मिलकर प्रजनन को एक सुनियोजित, नियंत्रित प्रक्रिया में बदल देता है — जो आम लोगों की पहुँच से बहुत दूर है।

नैतिक सवाल और असहज सच्चाई

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि व्यावसायिक सरोगेसी अक्सर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं पर निर्भर करती है, जिससे शोषण और सहमति को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं। United Nations से जुड़े निकायों ने भी इस पर चिंता जताई है।

सबसे बड़ा सवाल समानता का है। अगर पैसा सीधे जैविक बढ़त में बदलने लगे, तो भविष्य में असमानता और गहरी होगी — जहां ताकत सिर्फ विरासत में नहीं, जन्म के साथ तय होने लगेगी।

लोकतंत्र के सामने सवाल

यह कहानी सिर्फ अरबपतियों और बच्चों की नहीं है। यह उस समाज की है जहां आम लोग परिवार बसाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि कुछ गिने-चुने लोग तकनीक और धन से अपने भविष्य को “डिज़ाइन” कर रहे हैं।

जब देश जनसंख्या संकट पर चर्चा कर रहे हैं, तब एक असहज सवाल सामने खड़ा है: क्या भविष्य की पीढ़ियाँ सार्वजनिक नीति से तय होंगी — या अमीरों की निजी योजनाओं से?

इसका जवाब यह तय करेगा कि आने वाले समय में सिर्फ सत्ता और संपत्ति ही नहीं, बल्कि जन्म का अधिकार भी कितना बराबर रहेगा।

अरबपति ऐसा क्यों कर रहे हैं? (सरल शब्दों में)

अरबपति प्रजनन को रणनीति बना रहे हैं, इसके पाँच साफ कारण हैं:

  1. जनसंख्या गिरने का डर
    अमीर तबका मानता है कि कम होती जन्म दर से देश, संस्कृति और अर्थव्यवस्था कमजोर होंगी। वे खुद को इसका “समाधान” मानते हैं।

  2. मौत के बाद भी सत्ता बनाए रखने की चाह
    पैसा खत्म हो सकता है, लेकिन वंश नहीं। ज्यादा बच्चे मतलब—सत्ता, नाम और प्रभाव का लंबा जीवन।

  3. पैसा हर सीमा हटा देता है
    आम लोगों के लिए बच्चे पैदा करना जिम्मेदारी है; अरबपतियों के लिए यह एक प्रबंधनीय प्रक्रिया है — IVF, सरोगेसी, वकील, सब उपलब्ध।

  4. विरासत के ज़रिये नियंत्रण
    बच्चों को संपत्ति से जोड़कर अरबपति आने वाली पीढ़ियों की दिशा तय करते हैं — कौन वारिस होगा, कौन नहीं।

  5. खुद को “विशेष” मानने की सोच
    कई अरबपति मानते हैं कि वे बाकी समाज से ज्यादा सक्षम हैं, इसलिए भविष्य को गढ़ने का अधिकार भी उन्हीं का है।

संक्षेप में:
यह बच्चों की बात नहीं है —
यह भविष्य पर कब्ज़े की योजना है।

Ashis Sinha

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