पटना: बिहार सरकार ने जमीन से जुड़ी समस्याओं और विवादों को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने सोमवार को इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम (ILRMS) और स्पैशियल म्यूटेशन पोर्टल का औपचारिक उद्घाटन किया। यह पोर्टल आईआईटी रूड़की द्वारा विकसित किया गया है।
मंत्री सरावगी ने बताया कि राज्य में भूमि सर्वे का कार्य 31 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा और आने वाले समय में जमीन से जुड़े विवाद लगभग खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब पूरा विभाग ऑनलाइन हो गया है और आम जनता को पारदर्शी, तेज़ और भरोसेमंद सेवाएं मिलेंगी।
सरावगी ने दावा किया कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां उच्च तकनीक के साथ भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण इस स्तर पर किया गया है। उन्होंने कहा, “अब न तो कर्मचारियों को फाइलें लेकर घूमना पड़ेगा और न ही लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे। सभी सेवाएं एक ही पोर्टल पर उपलब्ध होंगी।”
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि ILRMS के जरिए टेक्स्चुअल (लिखित) और स्पैशियल (नक्शे से जुड़ा) डाटा एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जा रहा है, जिससे एक डिजिटल ईकोसिस्टम बनेगा और जनता को अधिक पारदर्शिता के साथ सुविधाएं मिलेंगी।
विभागीय सचिव जय सिंह ने कहा कि अब तक म्यूटेशन में केवल नाम और मालिकाना हक़ बदला जाता था लेकिन नक्शे में कोई बदलाव नहीं होता था। इसी वजह से एक ही जमीन कई बार बेची जाती थी। अब नए पोर्टल में जैसे ही जमीन खरीदी-बेची जाएगी, राजस्व नक्शा और राइट्स रिकॉर्ड दोनों अपने आप अपडेट हो जाएंगे।
इस नई प्रणाली में हर रैयत (भूमिधर) को एक खाता नंबर मिलेगा और जिस खेसरा की खरीद होगी, वह अपने आप उस खाते से जुड़ जाएगा। सरकार की जमीन आम नागरिकों की लॉगिन आईडी में नहीं दिखेगी, जिससे सरकारी जमीन से छेड़छाड़ की संभावना खत्म हो जाएगी।
नया पोर्टल सिर्फ म्यूटेशन के लिए नहीं, बल्कि भू-राजस्व भुगतान, ई-मापी, भूमि रूपांतरण, कोर्ट केस मैनेजमेंट जैसी सभी सेवाएं भी एक ही पोर्टल पर देगा। इससे जमीन से जुड़े हर काम में पारदर्शिता, गति और सटीकता आएगी और विवादों में भारी कमी होगी।
सरकार का मानना है कि यह पहल न सिर्फ जमीन विवादों को खत्म करेगी बल्कि जनता को डिजिटल और सुविधाजनक सेवाएं भी प्रदान करेगी। बिहार अब भूमि सुधार और डिजिटलीकरण के क्षेत्र में देश के अन्य राज्यों के लिए मिसाल बन रहा है।