News Desk: केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बीते दो हफ्तों से खड़ा ब्रिटिश F-35B स्टील्थ फाइटर जेट न केवल तकनीकी कारणों से उड़ान नहीं भर सका है, बल्कि अब उस पर संभावित ₹3.9 लाख का पार्किंग बिल भी बन गया है — हालांकि अभी तक कोई औपचारिक शुल्क नहीं वसूला गया है।
एयरपोर्ट नियमों के अनुसार, विमान के अधिकतम टेकऑफ वज़न (MTOW) के आधार पर प्रतिदिन का पार्किंग शुल्क तय होता है। F-35B का वज़न 27.3 मीट्रिक टन होने के कारण इसका अनुमानित शुल्क ₹26,000 प्रतिदिन बनता है। हालांकि यह सैन्य विमान है, और इसके शुल्क को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार इसे रणनीतिक साझेदारी के तहत वहन कर सकती है।
ईंधन की कमी के कारण की गई आपात लैंडिंग
यह हाई-टेक फाइटर जेट, ब्रिटेन की रॉयल नेवी के HMS Prince of Wales कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा था और वह भारतीय नौसेना के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हुए संयुक्त सैन्य अभ्यास से लौट रहा था। तभी 14 जून को, विमान ने तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग की।
रिपोर्टों के अनुसार, विमान को पहले से ही हाइड्रोलिक सिस्टम की तकनीकी खराबी का सामना करना पड़ रहा था, और इसके साथ-साथ ईंधन का स्तर भी बेहद कम हो गया था। ऊपर से मौसम भी खराब था, जिसके चलते वह अपने एयरक्राफ्ट कैरियर पर नहीं लौट सका।
भारतीय वायुसेना (IAF) ने तुरंत मदद करते हुए विमान को सुरक्षित उतारने में सहायता की, और ईंधन व अन्य ज़मीनी सुविधाएं भी मुहैया कराईं।
ब्रिटेन भेज रहा है विशेषज्ञों की टीम
तकनीकी टीमों ने अब तक कई प्रयास किए लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया। अब ब्रिटेन से 40 इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों की एक विशेष टीम, एक टो वाहन और अन्य उपकरणों के साथ तिरुवनंतपुरम भेजी जा रही है।
विमान को एयरपोर्ट के मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल (MRO) हैंगर में शिफ्ट किया जाएगा, ताकि जांच और मरम्मत का काम व्यवस्थित ढंग से हो सके।
ब्रिटेन के रक्षा प्रवक्ता ने बयान में कहा:
“F-35B विमान में तकनीकी समस्या आई है। विमान को MRO हैंगर में शिफ्ट किया जाएगा, जैसे ही हमारी टीम और उपकरण भारत पहुंचेंगे। हम भारतीय प्रशासन और एयरपोर्ट अधिकारियों के सहयोग के लिए आभारी हैं।”
क्या भारतीय रडार ने किया ‘डिजिटल लॉक’?
हालांकि आधिकारिक तौर पर समस्या को हाइड्रोलिक खराबी बताया गया है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ एक अलग संभावना पर भी चर्चा कर रहे हैं। उनका मानना है कि हो सकता है विमान जैसे ही भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल हुआ, भारतीय रडार सिस्टम द्वारा उसे “डिजिटल रूप से लॉक” कर दिया गया हो।
कहा जा रहा है कि यह लॉक इतना जटिल है कि ब्रिटिश और अमेरिकी इंजीनियर भी उसे अब तक अनलॉक नहीं कर पाए हैं। हालांकि इस सिद्धांत की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, फिर भी यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा और चिंता का विषय बना हुआ है।
भारत की भूमिका: सहयोग और रणनीतिक जिम्मेदारी
पूरे घटनाक्रम में भारत ने अत्यंत संयमित और सहयोगी भूमिका निभाई है। भारतीय वायुसेना ने आपात लैंडिंग के बाद न केवल तकनीकी सहायता, बल्कि ईंधन, भोजन, आवास और सुरक्षा भी प्रदान की है। विमान फिलहाल Bay-4 में खड़ा है, जो आमतौर पर VIP विमानों के लिए आरक्षित रहता है। इससे हवाई अड्डे की नियमित उड़ानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
तकनीकी महाशक्ति बना विमान, अब ज़मीन पर अटका
Lockheed Martin द्वारा निर्मित यह F-35B फाइटर जेट दुनिया के सबसे उन्नत युद्धक विमानों में से एक है। इसमें STOVL (शॉर्ट टेकऑफ और वर्टिकल लैंडिंग) जैसी अत्याधुनिक क्षमताएं हैं, जो इसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए उपयुक्त बनाती हैं।
लेकिन अब यह विमान एक मित्र राष्ट्र की भूमि पर दो हफ्तों से अधिक समय से फंसा हुआ है — न उड़ पा रहा है, न हटाया जा सका है। अगर मरम्मत भारत में संभव नहीं होती, तो इसे कार्गो विमान से ब्रिटेन वापस ले जाने का विकल्प भी सक्रिय रूप से विचाराधीन है।
इस वक्त, यह $110 मिलियन डॉलर का फाइटर जेट, मानसून की बारिश और भारतीय सूरज की रौशनी के बीच, एक लक्ज़री कार की तरह एयरपोर्ट पर खड़ा है — जिसकी चाबी जैसे कहीं गुम हो गई हो।