सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर किसी महिला का Extramarital Affair है, तो भी उसका पति बच्चे का कानूनी पिता माना जाएगा, भले ही जैविक प्रमाण इससे अलग हों। यह फैसला 28 जनवरी 2025 को दिया गया और यह मामला केरल से जुड़ा था।
जस्टिस सूर्या कांत और उज़्जल भूयन ने इस फैसले में कहा कि अगर महिला का वैध विवाह है और दोनों पति-पत्नी के बीच मिलन (access) हुआ हो, तो पति को बच्चे का कानूनी पिता माना जाएगा। कोर्ट ने भारतीय साक्ष्य कानून की धारा 112 का हवाला देते हुए कहा कि जब तक शादी बनी रहती है, तब तक पति ही बच्चे का कानूनी पिता माना जाएगा। पति तभी बच्चे की वैधता को चुनौती दे सकता है, जब वह यह साबित कर सके कि उसे अपनी पत्नी से मिलन (access) का अवसर नहीं मिला था।
इस मामले में एक महिला ने यह स्वीकार किया था कि उसका दूसरा बच्चा 2001 में उसके Extramarital Affair से हुआ था, लेकिन उसके पति का नाम बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में पिता के रूप में दर्ज था। बाद में, महिला ने कोर्ट से दूसरे व्यक्ति का नाम बच्चे का पिता दर्ज करने की मांग की। केरल कोर्ट ने DNA टेस्ट का आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी से DNA टेस्ट कराया जाता है तो उसकी व्यक्तिगत जिंदगी सार्वजनिक हो जाएगी, जिससे उसकी प्रतिष्ठा और सम्मान को नुकसान हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को DNA टेस्ट से पहले यह साबित करना होगा कि उसे अपनी पत्नी से मिलन का अवसर नहीं मिला था।