नई दिल्ली: भारत ने जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर स्थित दो प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं—बगलिहार (900 मेगावाट) और सलाल (690 मेगावाट)—की फ्लशिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कदम से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में खरीफ फसलों की बुवाई के दौरान सिंचाई जल की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
फ्लशिंग क्या है?
फ्लशिंग एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें बांधों में जमी गाद और तलछट को हटाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया 1 मई से शुरू हुई और तीन दिनों तक चली, जिससे चेनाब नदी में जल प्रवाह में अचानक वृद्धि और फिर कमी देखी गई। स्थानीय निवासियों ने बताया कि नदी के कुछ हिस्सों में पानी का स्तर बढ़ गया, जबकि अन्य हिस्सों में तलछट जमा हो गई।
सिंधु जल संधि का निलंबन और रणनीतिक प्रभाव
भारत ने 24 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इस निलंबन के बाद भारत को पश्चिमी नदियों—सिंधु, चेनाब और झेलम—के जल प्रवाह को नियंत्रित करने की अधिक स्वतंत्रता मिल गई है। पहले, भारत को ऐसे कार्यों के लिए पाकिस्तान को सूचित करना पड़ता था, लेकिन इस बार कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने इस कदम को “युद्ध का कार्य” करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है। इससे पहले, भारत ने किशनगंगा और रतले परियोजनाओं पर भी कार्य शुरू किया है।
आगे की योजना
भारत ने जम्मू-कश्मीर में छह नई जलविद्युत परियोजनाओं पर भी काम शुरू किया है, जिससे क्षेत्र में 10,000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ सकती है। इन परियोजनाओं से न केवल बिजली उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि सिंचाई और घरेलू जल आपूर्ति में भी सुधार होगा।
यह कदम भारत की जल प्रबंधन को कूटनीतिक दबाव के उपकरण के रूप में उपयोग करने की रणनीति को दर्शाता है। जैसे-जैसे क्षेत्रीय तनाव बढ़ता है, यह स्पष्ट है कि जल संसाधनों का प्रबंधन अब केवल तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक निर्णयों का हिस्सा बन गया है।