नई दिल्ली: भारत ने एक राफेल लड़ाकू विमान खो दिया है, लेकिन ये हादसा किसी युद्ध या दुश्मन की कार्रवाई में नहीं, बल्कि एक उच्च ऊंचाई पर तकनीकी खराबी के चलते हुआ — ऐसा दावा किया गया है फ्रांस की एक रिपोर्ट में, जिसमें दसॉ एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रापिए का हवाला दिया गया है।
फ्रांसीसी वेबसाइट Avion De Chasse की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना 12,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर एक एक्सटेंडेड ट्रेनिंग मिशन के दौरान हुई थी। राफेल के एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम SPECTRA ने उस वक्त किसी भी दुश्मन की मौजूदगी या रेडार टार्गेटिंग के संकेत नहीं दिए।
Dassault CEO Confirms No Combat Losses of Indian Rafale Jets; One Technical Incident Under Probe
Eric Trappier, Chairman and CEO of Dassault Aviation, has confirmed that no Indian Air Force Rafale jets have been lost in combat “to enemy fire”, said specifically in context of… pic.twitter.com/awaD3bFOPE
— Defence Matrix (@Defencematrix1) July 6, 2025
हालांकि, भारत सरकार की ओर से अब तक इस तरह की किसी राफेल दुर्घटना को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बीते महीने शांग्री-ला डायलॉग (सिंगापुर) में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने स्वीकार किया था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान वायुसेना को कुछ नुकसान जरूर हुआ, लेकिन पाकिस्तान द्वारा 6 भारतीय लड़ाकू विमानों (जिसमें 3 राफेल भी बताए गए) को मार गिराने के दावे को उन्होंने “बिलकुल गलत” बताया था। उन्होंने कहा था कि बाद में भारतीय वायुसेना ने 7, 8 और 10 तारीख को पाकिस्तानी एयरबेस को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और सभी एयर डिफेंस को पार कर अंदर तक प्रिसिशन स्ट्राइक्स कीं।
इंडोनेशिया में भारत के डिफेंस अटैशे, नेवी कैप्टन शिव कुमार ने भी एक सेमिनार में यह माना था कि कुछ विमान खोए गए थे। उन्होंने बताया कि राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारतीय सेना को सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने की अनुमति थी, इसलिए नुकसान हुआ।
दूसरी ओर, दसॉ एविएशन के प्रमुख एरिक ट्रापिए ने पहले ही पाकिस्तान के दावों को “झूठा और आधारहीन” बताया था। अब फ्रांसीसी रिपोर्ट में उन्होंने तकनीकी आंकड़ों के आधार पर यह दोहराया है कि कोई ऑपरेशनल फेलियर नहीं था, और यह नुकसान किसी दुश्मन की कार्रवाई से जुड़ा नहीं था।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और उसके समर्थकों की यह रणनीति राफेल की साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है, खासकर तब जब यह लड़ाकू विमान कोलंबिया, सर्बिया और मलेशिया जैसे देशों में टेंडर के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
चीन पर भी शक
एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसीसी खुफिया एजेंसियों को शक है कि चीन ने राफेल की विश्वसनीयता पर संदेह फैलाने में अहम भूमिका निभाई। चीन के रक्षा अधिकारी खासकर इंडोनेशिया जैसे देशों में जाकर यह प्रचार कर रहे थे कि राफेल की जगह चीनी फाइटर जेट खरीदें।
फ्रांसीसी सैन्य अधिकारियों का मानना है कि यह सब राफेल की इंटरनेशनल मार्केट वैल्यू को गिराने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।