डीपीएस बोकारो की छात्रा आव्या को झारखंड सरकार ने दिया एक लाख का पुरस्कार

 

*आव्या सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षा में राज्य के टॉप- 3 में थी शामिल*

‘बोकारो। डीपीएस बोकारो की मेधावी छात्रा आव्या सिंह मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में झारखंड सरकार की ओर से एक लाख रुपए की पारितोषिक राशि, लैपटॉप और स्मार्टफोन देकर सम्मानित किया गया। रांची के प्रोजेक्ट भवन में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह के दौरान उसे पुरस्कृत किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री सोरेन के अलावा विशिष्ट अतिथि राज्य के शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम, श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता तथा वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव सहित राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारी व गणमान्यजन उपस्थित थे। विदित हो कि राज्य सरकार की ओर से उक्त समारोह में वर्ष 2023 एवं 2024 के सीबीएसई, जैक और आईसीएसई बोर्ड के स्टेट टॉपरों को सम्मानित किया गया। इनमें डीपीएस बोकारो की आव्या ने सीबीएसई 10वीं की परीक्षा में इस साल राज्य में तीसरा स्थान तथा जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। उसने कुल 98.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। उसे सरकार की ओर से झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शशि रंजन (भाप्रसे) ने पुरस्कार सौंपा।

वर्तमान में डीपीएस बोकारो की 11वीं कक्षा में अध्ययनरत आव्या सिंह की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार ने उसे बधाई दी। उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए प्राचार्य ने कहा कि डीपीएस बोकारो बच्चों के सर्वांगीण विकास तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने की दिशा में कटिबद्ध है। इस प्रकार की उपलब्धियां इसी प्रतिबद्धता का सुखद परिणाम हैं।

बोकारो इस्पात संयंत्र के मानव संसाधन विभाग में बतौर महाप्रबंधक सेवारत प्रवीण कुमार सिंह एवं माता गृहिणी पूजा सिंह की होनहार पुत्री आव्या ने कुल 500 अंकों की परीक्षा में 494 अंक हासिल किए थे। वह आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहती है। उसने कहा कि कोरोनाकाल में कई लोग असमय समुचित इलाज के बिना अपनी जान गंवा बैठे। इससे वह काफी प्रभावित हुई। मानवता की सेवा की खातिर उसने डॉक्टर बनने की ठानी है। उसे पढ़ाई के अलावा किताबें पढ़ने और चित्रांकन का भी शौक है। फ्रेंच भाषा पर भी उसकी अच्छी पकड़ है। वह शिक्षिका, लेखिका, सांसद और इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति को अपनी प्रेरणा का स्रोत मानती है।

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