हमें हो गई मुहब्बत ये तो खता नहीं…

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बोकारो के कोऑपरेटिव कॉलोनी में रश्मिपुंज साहित्यिक संस्थान के काव्यांजलि में बही काव्य रस की सरिता

अरुण पाठक

बोकारो : रश्मिपुंज साहित्यिक संस्थान के तत्वावधान में बुधवार की शाम कोऑपरेटिव कॉलोनी में काव्यांजलि काव्य संध्या का आयोजन किया गया। संस्था की महासचिव कवयित्री करुणा कलिका के संयोजन में आयोजित इस काव्यांजलि कार्यक्रम का कुशल संचालन पटना से आये हुए उम्दा शायर सुशील ठाकुर ‘साहिल’ ने तथा अध्यक्षता बोकारो की कवयित्री काजल भलोटिया एवं कवि व गायक अरुण पाठक ने की। इस अवसर पर कवि कवयित्रियों ने सावन, प्रेम, मानवीय संवेदना, देशभक्ति आदि विषयों पर केंद्रित रचनाएं सुनाकर सभी को आनंदित किया। मां सरस्वती की तस्वीर पर पुष्पार्चन के बाद दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

करुणा कलिका ने सभी कवियों का स्वागत किया तदुपरांत रीना यादव ने वाणी वंदना प्रस्तुत की। सुशील साहिल ने ‘बादल टूट के बरसा होगा…’, रिंकु गिरि ने ‘ओ नफरत–क्या तेरा रहना ज़रूरी था’, सुप्रिया कुमारी ‘सरस’ ने ‘कविता मौन को मुखरित करती है’, आरफ़ा साएमीन ने ‘जद्दोजेहद से कामयाबी का सफ़र’, कोमल ने ‘बारिश की पहली बूँद’, रीना यादव ने ‘इश्क़ से बढकर मजहब नही’, अंकित उपाध्याय ने ‘क्या बचपन था?’, जाहिद सूफी ने गज़ल, ज्योतिर्मय डे राणा ने ‘सुहानी शाम’, रेणुका सिन्हा ने ‘सावन (कजरी)’, डाॅ नीलिमा प्रसाद ने ‘आँखों का दर्द’, हिमेंद्र प्रसाद ने ‘एक अकेला गुलाब’, करुणा कलिका ने गीत ‘हमें हो गई मुहब्बत ये तो खता नहीं’, काजल भालोटिया ने ‘वसीयत’, कार्यक्रम अध्यक्ष व मीडिया प्रभारी अरुण पाठक ने मैथिली में गीत सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई।

कवि व शायर सुशील साहिल ने इस सफल आयोजन के लिए करुणा कलिका सहित सभी उपस्थित रचनाकारों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि बोकारो शहर में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं छिपी हुई हैं जिन्हें एकजुट करने का यह प्रयास स्तुत्य है। सभी रचनाकारों को सुनकर बहुत अच्छा लगा। आप सभी ऐसे ही साहित्यिक मेल-जोल को बढ़ाते रहें और सदैव सकारात्मकता को प्रतिष्ठित करते हुए अपने साहित्यिक अवदान को गति प्रदान करते रहें।

कार्यक्रम का समापन करुणा कलिका जी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

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