‘अनपढ़ थी मां मगर हमें पढ़ना सिखा दिया…’

# राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई की कविगोष्ठी में कवियों ने प्रस्तुतियों से बांधा समां

 

बोकारो : अखिल भारतीय साहित्यिक संस्था राष्ट्रीय कवि संगम के बोकारो महानगर इकाई द्वारा रविवार को सेक्टर स्थित मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के सभागार में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बोकारो स्टील प्लांट के मुख्य महाप्रबंधक (कार्मिक) व मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष हरि मोहन झा, विशिष्ट अतिथि मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार, महासचिव अविनाश कुमार झा, मिथिला एकेडमी के सचिव पी के झा चंदन, राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय महामंत्री सरोज कांत झा, प्रांतीय संगठन मंत्री डॉ श्याम कुंवर भारती, बोकारो महानगर इकाई अध्यक्ष अरुण पाठक ने दीप प्रज्ज्वलित कर व मां सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन से किया।

 

स्वागत भाषण राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर अध्यक्ष अरुण पाठक ने किया। मुख्य अतिथि हरिमोहन झा ने राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा आयोजित इस कवि गोष्ठी की सराहना की और कहा कि बोकारो एक बौद्धिक व सांस्कृतिक नगरी है। बीएसएल के पूर्व निदेशक प्रभारी व वर्तमान सेल अध्यक्ष अमरेन्दु प्रकाश की इच्छा बोकारो को सभी क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ बनाने की रही है। उनके इस सपने को मूर्त रूप देने में बोकारो की साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस तरह के आयोजनों से बोकारो की साहित्यिक ऊर्जा को नया आयाम मिलेगा।

 

प्रांतीय महामंत्री सरोज कांत झा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम देश भर की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था है। इस संस्था से 5000 से अधिक कवि व रचनाकार जुड़े हुए हैं। ‘राष्ट्र जागरण धर्म हमारा’ ध्येय के साथ यह संस्था कार्य कर रही है। बोकारो महानगर इकाई अपनी गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध रही है। प्रांतीय संगठन मंत्री श्याम कुुंवर भारती ने कहा कि जिला स्तर के साथ ही समय-समय पर प्रांतीय व राष्ट्र स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन भी संस्था द्वारा आयोजित होती है।

 

इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई की सर्वसम्मति से पुनगर्ठित नई कार्यकारिणी की घोषणा प्रांतीय महामंत्री सरोज झा ने की। संस्था की नई कार्यकारिणी में अरुण पाठक को अध्यक्ष, रीना यादव व समीर स्वरुप गर्ग को उपाध्यक्ष, करुणा कलिका को महासचिव, कस्तूरी सिन्हा को सचिव व डॉ रणजीत कुमार झा को संगठन सचिव का दायित्व मिला है। नई कार्यकारिणी में कुछ और सदस्यों को जोड़ने का जिम्मा अध्यक्ष को दिया गया।

 

कवि गोष्ठी की शुरुआत कवयित्री कस्तूरी सिन्हा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई। तत्पश्चात कवि-कवयित्रियों ने हिन्दी, मैथिली व भोजपुरी में गीत, गज़ल, प्रेम, हास्य व मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत रचनाएं सुनाकर समां बांध दिया। राजीव कंठ ने मैथिली में ‘भिजल नैन, ठोर मुस्काईत, मोन अहीं पड़ी भरि-भरि राति’, अमन कुमार झा ने ‘मतदाता’, डॉ रणजीत कुमार झा ने ‘उमड़ल मेघ’, रीना यादव ने ‘ऊंगली पकड़ के पांव पे चलना सीखा दिया/अनपढ़ थी मां मगर हमें पढ़ना सिखा दिया…’, सरोज कान्त झा ने गज़ल ‘बेवजह मुस्कुराते हो, पागल हो क्या/दिल लगा कर गाते हो पागल हो क्या’, ओज के कवि श्याम कुंवर भारती ने ‘रोती क्यों है जननी क्या गम तेरे आंचल में है…’, ‘करुणा कलिका ने ‘कविता में गीतों का वंदन लिखा है…’, गीता कुमारी गुस्ताख ने ‘बीते सावन सखी री, साजन ना आए मोरे…’, डॉ रंजना श्रीवास्तव ने दहेज प्रथा पर ‘लड़कों का भाव तो छुए आकाश, लड़कियों का दिल भी छुए आकाश…’, शैलजा झा ने मैथिली कविता ‘स्त्रीक आत्मा’, रणधीर चंद्र गोस्वामी ने ‘चांदनी’ व ‘दरख्त का दुख’, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’ ने ‘सीता स्वयंवर’ व अरुण पाठक ने मैथिली में सद्भावना गीत ‘जाति धर्म के नाम पर नहिं बांटू इंसान के…‘ व ‘बाबा की महिमा गाते चलंे हम, मंजिल हमारी मिल जायेगी…’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई।

 

अध्यक्षता सरोज कांत झा व मंच संचालन कस्तूरी सिन्हा ने तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन करुणा कालिका ने किया। इस अवसर पर सुनील मोहन ठाकुर, शंभु झा, प्रदीप झा, पवन कुमार, विश्वनाथ गोस्वामी, संतोष आदि उपस्थित थे।

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