पाकिस्तान भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को ICJ में चुनौती देने की योजना बना रहा है, क्या यह कारगर होगा…?

News Desk: भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और विश्व बैंक के सामने उठाने की योजना बना रहा है।

भारत सरकार ने पिछले हफ्ते यह सख्त कदम उस वक्त उठाया जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच में पाकिस्तान के साथ सीमा पार संबंध सामने आए। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे, जिनमें से ज़्यादातर हिन्दू पर्यटक थे। यह हमला द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के आतंकियों ने किया था, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन है।

भारत के फैसले से नाराज पाकिस्तान ने कहा है कि अगर भारत ने पाकिस्तान को मिलने वाला पानी रोका या उसकी दिशा बदली, तो इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ माना जाएगा।

पाकिस्तान के कानून व न्याय राज्य मंत्री, अकील मलिक ने रॉयटर्स को बताया कि इस मामले में तीन कानूनी विकल्पों पर काम चल रहा है—विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मामला उठाना। मलिक ने कहा, “हमने लगभग अपनी कानूनी रणनीति तय कर ली है और जल्द ही फैसला लेंगे।”

मलिक ने यह भी कहा कि भारत इस संधि को एकतरफा तरीके से खत्म नहीं कर सकता क्योंकि समझौते में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

साल 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी यह संधि अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे का आधार रही है, चाहे दोनों देशों के बीच हालात कितने भी तनावपूर्ण क्यों न रहे हों। इस संधि के तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों पर पूरा अधिकार है, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों से लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट पानी मिलता है, जो भारत से बहकर पाकिस्तान जाता है।

अब जब भारत ने संधि को निलंबित कर दिया है, तो रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार अल्पकालिक योजनाओं पर काम कर रही है—जैसे कि पश्चिमी नदियों पर बने बांधों की सफाई (desilting) और उनकी भंडारण क्षमता बढ़ाना, जिससे पाकिस्तान को जाने वाला पानी कम हो सकता है।

हालांकि पाकिस्तान ICJ जाने की बात कर रहा है, लेकिन एक बड़ी कानूनी बाधा है। भारत ने 2019 में ICJ की बाध्यकारी (compulsory) अधिकारिता को स्वीकार करते समय यह स्पष्ट कर दिया था कि कॉमनवेल्थ देशों से जुड़े मामलों में ICJ को भारत पर अधिकार नहीं होगा। चूंकि पाकिस्तान भी कॉमनवेल्थ देश है, इसलिए भारत इस मामले में ICJ के अधिकार को मान्यता नहीं देगा।

फिलहाल भारत की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए यह संदेश देना चाहती है कि पाकिस्तान की गतिविधियों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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