– तनाव कम करने में साहित्य, संगीत व कला सहायक : प्रांजल ढांडा
अरुण पाठक
बोकारो : बोकारो की चर्चित साहित्यिक संस्था साहित्यलोक का 33वां स्थापना दिवस समारोह रविवार को सेक्टर 4 स्थित मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के विद्यापति सभागार में भव्य साहित्यिक कार्यक्रम के साथ मनाया गया। समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि आईएएस अधिकारी व एसडीओ चास प्रांजल ढांडा, विशिष्ट अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी जगरनाथ लोहरा, बीएसएल के मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन) व मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष हरि मोहन झा, मिथिला सांस्कृतिक परिषद के पूर्व महासचिव अविनाश कुमार झा, वरिष्ठ साहित्यकार सुखनंदन सिंह ‘सदय’, बुद्धिनाथ झा, साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा, मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के सचिव पी के झा चंदन ने मां सरस्वती की तस्वीर व महाकवि विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मिथिला महिला समिति की अंजु झा व सबिता मिश्रा ने महाकवि विद्यापति रचित भगवती वंदना ‘जय जय भैरवि असुर भयाउनि…’ व आंचल पाठक ने मैथिली पुत्र प्रदीप की रचना भगवती गीत ‘जगदंब अहीं अवलंब हमर हे माय अहां बिनु आस ककर..’ की सुमधुर प्रस्तुति से सभी को आनंदित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों एवं कुछ वरिष्ठ साहित्यकारों बुद्धिनाथ झा, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, पं उदय कुमार झा, रणधीर चन्द्र गोस्वामी, नीलम झा, कोलकाता से आये कवि डॉ सन्तोष कुमार झा व धनबाद से आईं कवयित्री पूनम झा को सम्मानित किया गया। अतिथियों व साहित्यकारों ने अमन कुमार झा की मैथिली नाट्य पुस्तक ‘भेंट’ का लोकार्पण किया।
मुख्य अतिथि प्रांजल ढांडा ने अपने संबोधन में कहा कि साहित्यलोक के 33वें स्थापना दिवस समारोह में आकर उन्हें काफी प्रसन्नता का अनुभव हुआ है। साहित्य, संगीत व कला से व्यक्ति का तनाव कम होता है। समाज में सकारात्मकता के विकास में साहित्य व कला सहायक है। उन्होंने मैथिली नाटक भेंट पुस्तक के प्रकाशन पर लेखक अमन झा को बधाई दी। डीईओ जगरनाथ लोहरा ने कहा कि साहित्य मानव जीवन के लिए जरूरी है। साहित्य के विकास में साहित्यलोक का योगदान प्रशंसनीय है। बीएसएल के सीजीएम हरि मोहन झा ने कहा कि आदमी के विकास में भाषा का बहुत अधिक महत्व है। साहित्य का स्थान बहुत ऊंचा है।साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। उन्होंने नयी पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने पर बल दिया।
वरिष्ठ रंगकर्मी बटोही कुमार व कवयित्री शैलजा झा ने नाटक ‘भेंट’ के कथ्य, शिल्प व संदेश के बारे में बताया और इस पुस्तक की सराहना की। शिक्षिका व साहित्यकार डॉ निरुपमा झा ने वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा के लेखकीय व्यक्तित्व पर आलेख पाठ किया। बुद्धिनाथ झा ने साहित्यलोक की स्थापना की पृष्ठभूमि सहित पिछले 32 वर्षों के सफर पर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्यलोक ने बोकारो के साहित्य को उर्वरा बनाने में महती भूमिका निभाई है। वरिष्ठ शिक्षाविद् व समीक्षक तुला नन्द मिश्र, साहित्यकार बुद्धिनाथ झा व गिरिजा नंद झा ‘अर्धनारीश्वर’ द्वारा 31 दिसंबर 1992 को साहित्यलोक की स्थापना की गयी थी।
मिथिला सांस्कृतिक परिषद के महासचिव नीरज चौधरी व मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के सहयोग से आयोजित इस समारोह में भव्य कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता बुद्धिनाथ झा ने की। साहित्यकार सुखनंदन सिंह ‘सदय’, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, अमीरी नाथ झा अमर, उदय कुमार झा, रणधीर चन्द्र गोस्वामी, अमन कुमार झा, राजेन्द्र कुमार, डॉ संतोष कुमार झा, राजीव कंठ, अरुण पाठक, करुणा कलिका, नीलम झा, शैलजा झा, पूनम झा, प्रदीप कुमार दीपक आदि ने अपनी रचनाओं से सभी की सराहना पाई। मंच संचालन राजेन्द्र कुमार व डॉ संतोष कुमार झा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन शंभु झा ने किया। समारोह में डॉ के एन झा, शंभु नाथ झा, श्रवण कुमार झा, सुधा मल्लिक, शैलेंद्र झा, अमरनाथ झा, रमेश प्रसाद, शारदा प्रसाद, अमरजीत चौधरी, ऋषिकेश चौधरी, संतोष कुमार, विश्वनाथ गोस्वामी, अभय कुमार झा आदि उपस्थित थे।