Taliban की Pakistan को धमकी: “सिंध और पंजाब दूर नहीं”

Taliban की Pakistan को धमकी: “सिंध और पंजाब दूर नहीं”
73 / 100 SEO Score

काबुल/इस्लामाबाद: अफगानिस्तान की तालिबान (Taliban) सरकार ने पाकिस्तान (Pakistan) को कड़ी चेतावनी दी है कि वह “काबुल के सब्र का इम्तेहान” न ले। यह बयान तब आया जब तुर्की के इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता एक बार फिर बिना नतीजे के खत्म हो गई। बातचीत का मकसद था — पाकिस्तान में सक्रिय टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) आतंकियों पर लगाम लगाने के लिए तालिबान से लिखित वादा लेना।

लेकिन 6-7 नवंबर को हुई इस बैठक का कोई हल नहीं निकला, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

“सिंध और पंजाब दूर नहीं हैं” — मंत्री की सीधी धमकी

वार्ता विफल होने के बाद अफगानिस्तान के जनजातीय, सीमावर्ती और जनजातीय मामलों के मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने पाकिस्तान को खुली धमकी दी। उन्होंने कहा, “अगर जंग हुई, तो अफगानिस्तान के बुजुर्ग और नौजवान लड़ने के लिए उठ खड़े होंगे।”

नूरी ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्हें अपनी फौजी ताकत पर ज़्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को इतिहास से सीख लेनी चाहिए। अमेरिका और रूस जैसी ताकतें भी अफगानिस्तान में हार चुकी हैं। सिंध और पंजाब दूर नहीं हैं।”

यह बयान तब आया जब आसिफ ने पहले कहा था कि अगर इस्तांबुल में बातचीत नाकाम रही, तो पाकिस्तान “सीधी कार्रवाई” कर सकता है।

Taliban का पलटवार: Pakistan फौज के गुट कर रहे हैं साज़िश

तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने बयान जारी कर पाकिस्तान की फौज के कुछ गुटों पर “जानबूझकर रिश्ते बिगाड़ने” का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, “कुछ ताकतें एक मज़बूत और आज़ाद अफगानिस्तान से खुश नहीं हैं। दशकों तक उन्होंने अफगानिस्तान की अस्थिरता और पलायन से फायदा उठाया, अब नई टकराव की वजहें ढूंढ रहे हैं।”

मुजाहिद ने यह भी कहा कि 2002 में टीटीपी का जन्म पाकिस्तान की “गलत नीतियों” की वजह से हुआ, जब उसने अमेरिका के साथ मिलकर वज़ीरिस्तान में ड्रोन हमलों की इजाज़त दी, जिससे आम लोग नाराज़ हुए।

“शांति प्रक्रिया को पाकिस्तान ने खुद बिगाड़ा” — तालिबान

तालिबान प्रवक्ता ने दावा किया कि उनकी सरकार ने पाकिस्तान और टीटीपी के बीच बातचीत करवाई थी, जिससे लंबा संघर्षविराम हुआ और कुछ प्रगति भी हुई थी।
लेकिन उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की फौज के कुछ हिस्सों ने जानबूझकर इन कोशिशों को नाकाम किया।”

मुजाहिद ने कहा, “इस्लामिक अमीरात वादा करता है कि अफगान ज़मीन किसी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होगी। हम ज़रूरी कदम उठाते रहेंगे।”

काबुल ने कहा — पाकिस्तान ‘गैर-जिम्मेदार’ और ‘सहयोग न करने वाला’

इस्तांबुल में बातचीत के बाद अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर “गैर-जिम्मेदाराना रवैया” अपनाने का आरोप लगाया।
काबुल का कहना है कि पाकिस्तान अपनी आंतरिक सुरक्षा समस्याएं अफगानिस्तान पर थोपने की कोशिश कर रहा है।

इस्तांबुल में हुई यह तीसरी नाकाम कोशिश थी। इससे पहले दो राउंड दोहा और इस्तांबुल में अक्टूबर में हुए थे — लेकिन नतीजा वही रहा, शून्य। अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं हुई है।

तनाव बढ़ा, सीमा पर खतरा गहराया

2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं।
पाकिस्तान आरोप लगाता है कि टीटीपी के आतंकी अफगान ज़मीन से हमले कर रहे हैं, जबकि तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान अफगान मामलों में दखल दे रहा है और उसे एक “मज़बूत, एकजुट अफगानिस्तान” से परेशानी है।

क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस्तांबुल की वार्ता असफल होने से सीमा पर झड़पों का खतरा बढ़ सकता है, जिससे दुरंड रेखा (Durand Line) वाला इलाका फिर से अस्थिर हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *