नेता के लिए शाही व्यवस्था, मांझी के परिवार के लिए सिर्फ वादे!
by Ashis Sinha
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की गया जिले के गहलौर गांव में हालिया यात्रा अब विवादों में घिर गई है—कारण सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि ‘VIP टॉयलेट’ का हंगामा भी है जिसने देशभर में हलचल मचा दी है।
शनिवार 6 जून को राहुल गांधी ने ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी के परिवार से मुलाकात की, जिसे दलित समुदाय के साथ जुड़ने की कांग्रेस की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन इससे भी ज्यादा चर्चा में रहा वो आलीशान अस्थायी शौचालय, जो नेताओं के लिए महज कुछ घंटों के लिए बनाया गया और राहुल गांधी के जाते ही गायब कर दिया गया!
दशरथ मांझी की पोती अंशु कुमारी ने मीडिया से कहा,
“2015 में हमारे लिए शौचालय बना था, लेकिन सड़क निर्माण के नाम पर उसे तोड़ दिया गया। तब से हम बिना शौचालय के जी रहे हैं। राहुल गांधी के आने से पहले एक नया टॉयलेट बना और जैसे ही वे गए, उसे उखाड़कर ले जाया गया!”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा:
“जिस दादा ने पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाया, उनके नाम पर अब नेताओं के लिए दिखावे के टॉयलेट बनाए जा रहे हैं, लेकिन उनके परिवार को आज भी सम्मान से जीने का हक नहीं!”
जनता का गुस्सा, सोशल मीडिया पर हंगामा
इस ‘टॉयलेट पॉलिटिक्स’ को लेकर सोशल मीडिया पर लोग सरकार और सिस्टम की नौटंकी पर सवाल उठा रहे हैं। यूजर्स कह रहे हैं:
“ये सम्मान नहीं, दलितों की बेइज्जती है। नेताओं को दिखावे की चिंता है, ज़मीन पर हकीकत बदहाल है।”
डीएम की सफाई और राहुल से चुनावी वादा
गया के नए जिलाधिकारी सुशांत शुभंकर ने सफाई दी कि यह VIP प्रोटोकॉल का हिस्सा था। हालांकि, उन्होंने दशरथ मांझी के घर बुनियादी सुविधाओं की जांच और जल्द कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
इस बीच, दौरे के दौरान दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी ने बोधगया सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, जिस पर राहुल गांधी ने सकारात्मक जवाब दिया।
“मांझी का सम्मान या वोटों की राजनीति?”
कांग्रेस जहां इस दौरे को दलित सम्मान की दिशा में कदम बता रही है, वहीं आलोचक इसे “दिखावे की राजनीति” करार दे रहे हैं। दशरथ मांझी की प्रेरणादायक विरासत को आज प्रोटोकॉल और पाखंड में लपेटा जा रहा है।