‘जीवन की हर शाम ढ़लने पर मुस्कुराते क्यों नहीं..’

ap#राष्ट्रीय कवि संगम बोकारो इकाई की मासिक कविगोष्ठी आयोजित 

राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई की मासिक कविगोष्ठी रविवार को सेक्टर 4 एफ स्थित सूर्य मंदिर में आयोजित हुई। संस्था के बोकारो महानगर इकाई अध्यक्ष अरुण पाठक की अध्यक्षता एवं सृष्टि शिवा के संचालन में आयोजित इस कविगोष्ठी में समीर स्वरुप गर्ग, उषा झा, ब्रजेश पांडेय, कुमार केशवेन्द्र, डॉ रंजना श्रीवास्तव, पूर्णेन्दु कुमार सिंह, अमन मिश्रा, अभिषेक कुमार पाठक, अमन कुमार झा, विशाल कुमार पंडित आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई तथा शाश्वत सिटी के संयुक्त तत्वावधान में 29 सितंबर को संध्या 5 बजे से बोकारो क्लब में आयोजित होनेवाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की तैयारियों पर भी चर्चा की गयी। राष्ट्रीय कवि संगम बोकारो महानगर इकाई के महासचिव ब्रजेश पांडेय ने अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की तैयारियों की अद्यतन स्थिति से अवगत कराया और सफल आयोजन हेतु सभी से सहयोग की अपील की।

काव्यगोष्ठी की शुरुआत समीर स्वरुप गर्ग ने जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया रखने का संदेश लिए ‘जीवन की हर शाम ढ़लने पर मुस्कुराते क्यों नहीं…’ कविता सुनाकर की। अभिषेक कुमार पाठक ने ‘प्यार इश्क नफरत उत्फत की ऐय्यारी में खों जाएं’ व महाभारत के अभिमन्यु प्रसंग पर आधारित ‘चिंता की क्यों बात की पार्थ अभी साथ नहीं’ सुनाकर सबकी दाद पाई। उषा झा ने ‘बस इंसान हैं हम’ शीर्षक कविता में इंसानियत को बचाने की अपील की। ब्रजेश पांडेय ने ‘प्रेम मिलता कहां’, डॉ रंजना श्रीवास्तव ने ‘तोड़ो हर शोषण का ताला’, अमन मिश्रा ने ‘वसंत और वह’, कुमार केशवेन्द्र ने ‘राह चुनी थी’, पूर्णेन्दु कुमार सिंह ने ‘हे प्रभो कृपा कर दे मानव मन को प्रभा से भर दे’, अमन कुमार झा ने ‘गिरने पर मातम मनाने वालों’, विशाल कुमार पंडित ने ‘देश के लिए पटेल और सुभाष होना चाहिए’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई। अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई के अध्यक्ष अरुण पाठक ने ‘हिन्दी है हम सबकी भाषा, हिन्दी है जन-जन की भाषा/हिन्दी को सम्मान दिलाना, हम सबकी उत्कट अभिलाषा’ सुनाकर सबकी तालियां बटोरी। धन्यवाद ज्ञापन सूर्य मंदिर प्रबंधन समिति के सी बी मिश्रा ने किया।

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