झारखण्ड में मजदूरों के लिए असीम सम्भावनाएँ हैंः बेहरा

हजारीबाग। मानवविज्ञान विभाग, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग द्वारा आयोजित झारखण्ड के मजदूरों पर लाॅक डाउन का प्रभाव- मुद्दे, समस्याएँ, निदान विषय पर वेबिनार दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। पहले सत्र में विभिन्न 12 राज्यों के 98 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में प्रो0 प्रवीण झा, सेन्टर फाॅर इंफाॅर्मल सेक्टर एवं लेबर स्टडीज, जबाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली थे। इन्होंने भारत में प्रवासी मजदूर कि स्थिति पर विस्तार में प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में मजदूरों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। जब प्रवासी मजदूर अपने राज्य में वापस आये तो इन्हें अपने राज्य के सीमा से उनके गाँव तक पहुँचाने की तथा तत्काल में इनके समस्याओं के निदान के जो उपाय किये जा रहे हैं वह संतोषजनक नहीं है।
प्रवासी मजदूर के साथ-साथ झारखण्ड के दिहाड़ी मजदूरों के लिए कल्याण एवं विकास योजनाओं के साथ हीं साथ वर्तमान में तुरंत जिन समस्याओं से ये जूझ रहे हैं। उनके समाधान का कारगर उपाय करने का प्रयास होना चाहिए। उन्हें सामाजिक सुरक्षा तथा भोजन तुरंत मुहैया करवाने के साथ-साथ उनके आश्रीतों की समस्याआंे पर ध्यान देना अतिआवश्यक है। अविलम्ब इन समस्याओं के निदान के बाद ही इनके लिए रोजगार तथा इनकी आर्थिक स्थिति को सम्भाला जा सकता है।
इसके साथ ही प्रो0 झा ने झारखण्ड में ग्रामिण रोजगार तथा शहरों में मजदूरों के लिए रोजगार हेतु नयी सम्भावनाओं की तलाश को भविष्य के लिए आवश्यक बताया।
दूसरे सत्र में डाॅ0 एच0सी0 बेहरा, आई.एस.आइ. इंस्टीच्यूट आॅफ नेशनल इपोर्टेंश, भारत सरकार ने झारखण्ड में वेस्ट लैण्ड एवं लेवर के उपर प्रकाश डाला, इन्होंने कहा कि झारखण्ड में भूमि की कमी नहीं है। यहाँ कृषि योग्य भूमि तो है लेकिन उस भूमि पर उपज नहीं हो रहा है। यहाँ की श्रम शक्ति एवं नये टेक्नोलाॅजी का उपयोग कर ऐसी भूमि को उपजाउ बनाकर वर्तमान समस्या का निदान ढुँढा जा सकता है। प्रदेश में मजदूरों के लिए असीम सम्भावनाएँ हैं। जिसपर योजनावत तरीके से कार्य करने की आवष्यकता है।
इन्होंने गाँव में मजदूरों के पंजीयन तथा डाक्यूमेंटेशन की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि झारखण्ड में विभिन्न जिले के मजदूरों के बीच कुछ सामान्य समस्याएँ हैं तो कुछ श्रेत्रीय समस्याएँ। कुछ मजदूर जो बिलकूल हीं भूमिहिन हैं उन्हें अलग कर उनकी समस्यााओं को देखने की आवश्यकता है।
इस सत्र में कुल 88 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वेबिनार में प्रतिभागियों के लिए डिस्कशन एवं प्रश्नोत्तर के साथ-साथ उनके सुझाव के लिए भी समय दिया गया। जिसमें कई प्रतिभागियों ने अपना सुझाव दिया तो कई ने अपने प्रश्नों को रखा।
वेबिनार में मजदूरों की वर्तमान समस्या, उनके भविष्य, सामाजिक सुरक्षा, स्वार्थ विषेषकर मानसिक स्वार्थ से संबंधित प्रश्न उठाये गये। प्रतिभागियों ने गाँव के प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र को सषक्त करने की दिषा में योजनासहित त्वरित कार्य को महत्वपूर्ण बताया। जंगल से संबंधित अर्थ व्यवस्था, मत्स्य पालन तथा झारखण्ड के हार्टिकल्चर एवं सब्जि उत्पादन सहित लाह एवं रेशम उद्योग को मजबूत करने के साथ-साथ यहाँ के संसाधन का राज्य के लोगों के लिए भी उपयोग किये जाने पर बल दिया। प्रतिभागियों ने कहा कि सिचाई की कमी के कारण ग्रामिण कषि अर्थव्यवस्था सही नहीं है। झारखण्ड में कई डैम हैं उस के पानी का उपयोग यहाँ के लोगों से ज्यादा दूसरे राज्यों के द्वारा किया जाता है। इन सब बिन्दुओं पर भी घ्यान देने की आवश्यकता है।
वेबिनार में सबों का स्वागत करते हुए विषय प्रवेश वेबिनार संयोजन सचिव डाॅ0 गंगा नाथ झा ने दिया।

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