एक दिन पहले शांति दूत, अब युद्ध का विरोध – ट्रंप को लेकर पाकिस्तान का यू-टर्न

 

News Desk : एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत-पाक संघर्ष के दौरान “निर्णायक कूटनीतिक भूमिका” के लिए 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था। लेकिन अब उसी पाकिस्तान ने ईरान पर अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने रविवार को बयान जारी कर कहा, “हम क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। ईरान के खिलाफ की गई आक्रामक कार्रवाई से हालात और बिगड़ सकते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र और दुनिया पर गहरा असर पड़ेगा।”

ट्रंप के नाम नोबेल की सिफारिश

शनिवार को पाकिस्तान सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर ट्रंप के नाम की सिफारिश की घोषणा की थी। सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव के दौरान शांति कायम करने में “निर्णायक भूमिका” निभाई।

“पाकिस्तान सरकार ने 2026 नोबेल शांति पुरस्कार के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप के नाम की औपचारिक सिफारिश की है,” पोस्ट में कहा गया।

इस घोषणा से कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया था।

जनरल मुनीर की यह यात्रा तब हुई जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे) के जवाब में “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया।

हालांकि भारत ने कई बार किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार किया है, लेकिन ट्रंप दावा करते रहे हैं कि उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध रोकने में “बैकडोर डिप्लोमेसी” निभाई।

ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की पुष्टि की

शनिवार देर रात ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्दो, नतांज और इस्फहान—पर सटीक हमले किए हैं।

व्हाइट हाउस से संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, “इन हमलों का मकसद ईरान की परमाणु क्षमता को खत्म करना और दुनिया के सबसे बड़े आतंक समर्थक देश से खतरे को रोकना था।”

उन्होंने इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और इज़राइली सेना का भी सहयोग के लिए धन्यवाद किया और इसे एक संयुक्त मिशन बताया।

पाकिस्तान की दोहरी नीति पर उठे सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान का यह रुख विरोधाभासी है—एक तरफ ट्रंप की शांति पहल की तारीफ, दूसरी तरफ उन्हीं की सैन्य कार्रवाई की निंदा।

एक विश्लेषक ने कहा, “यह पाकिस्तान की कूटनीतिक संतुलन की कोशिश है। वह ट्रंप को खुश भी रखना चाहता है और ईरान जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों से दूरी भी नहीं बनाना चाहता।”

अब जबकि ईरान की तरफ से जवाबी कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है, पाकिस्तान की स्थिति और भी नाज़ुक होती जा रही है।

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