मिथिला सांस्कृतिक परिषद व साहित्यलोक द्वारा भव्य साहित्यिक समारोह का आयोजन
अरुण पाठक
बोकारो : प्रतिष्ठित सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था मिथिला सांस्कृतिक परिषद व चर्चित साहित्यिक संस्था साहित्यलोक के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल, सेक्टर 4 के विद्यापति सभागार में भव्य साहित्यिक समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’ की तीन मैथिली पुस्तकों ‘कौटिल्यक अर्थशास्त्र’ (संक्षिप्त स्वरूप मैथिली पद्य में), ‘आचार्य चाणक्यक अवदान’ (कथा नीति सूत्र) व ‘प्रहरी पुरुष’ (संक्षिप्त स्वरूप मैथिली पद्य में) का लोकार्पण किया गया।
समारोह का उद्घाटन रांची से पधारे मुख्य अतिथि भारतीय वन सेवा के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ अधिकारी व साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार कुमार मनीष अरविंद, विशिष्ट अतिथि हजारीबाग से आये वरिष्ठ साहित्यकार हितनाथ झा, बोकारो के वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, मिथिला सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष जे पी चौधरी, महासचिव नीरज चौधरी, परिषद के निदेशक मंडल के संयोजक राजेन्द्र कुमार, निदेशक मंडल सदस्य अविनाश कुमार झा, परिषद के सांस्कृतिक कार्यक्रम निदेशक अरुण पाठक, साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा ने महाकवि विद्यापति की प्रतिमा व माता सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन के बाद दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत अक्षिता पाठक ने महाकवि विद्यापति रचित भगवती वंदना ‘जय जय भैरवि असुर भयाउनि…’ व अरुण पाठक ने महाकवि विद्यापति की रचना ‘माधव कते तोर करब बड़ाई…’ की सुमधुर प्रस्तुति से की।
मिथिला सांस्कृतिक परिषद के महासचिव नीरज चौधरी ने कहा कि आज के दिन वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक जी की तीन मैथिली पुस्तकों का लोकार्पण होना मैथिलों के लिए गौरव की बात है। साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ने इन पुस्तकों की रचना प्रक्रिया पर अपने विचार रखे। इसके बाद साहित्यकार शैलजा झा, हितनाथ झा, डॉ राम नारायण सिंह व कुमार मनीष अरविंद ने श्री मल्लिक की तीनों पुस्तकों की समीक्षा आलेख प्रस्तुत करते हुए भारतीय समाज व जीवन में चाणक्य के योगदान को बहुमूल्य बताया और कहा कि इन पुस्तकों में लेखक ने बहुत ही रोचक शैली में चाणक्य के अवदान का वर्णन किया है। शैलजा झा ने कहा कि साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक सुधापति की पुस्तक ‘चाणक्यक अवदान’ मैथिली साहित्य के लिए अवदान है। इसमें कुल तीस नीति कथाएं हैं, तीन सौ तीस नीति दोहे हैं और पाँच सौ सत्तर चाणक्य सूत्र वाक्य है जो आज के समय में भी प्रासगिक हैं।
साहित्यकार हितनाथ झा ने मल्लिक जी की पुस्तक ‘प्रहरी पुरुष’ पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि कवि ने अनेक प्रकार के दोहे, चौपाई, सोरठा आदि का प्रयोग किया है साथ ही अनेक विशिष्ट व्यक्तित्व का वर्णन भी इस पुस्तक में है जो इनकी लेखनी की विशिष्टता कही जा सकती है। साहित्यकार कुमार मनीष अरविंद ने मल्लिक जी की पुस्तक ‘कौटिल्यक अर्थशास्त्र’ पर समीक्षा टिप्पणी में कहा कि चाणक्य का अर्थशास्त्र पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। चाणक्य ने अर्थशास्त्र के साथ ही नीति शास्त्र व समाज तथा राष्ट्र को बेहतर बनाने हेतु जो रचनाएं दीं अगर हम उनका अनुसरण करें तो वामपंथ, मार्क्सवाद का पिछलग्गू बनने की कोई आवश्यकता नहीं है। साहित्य में राष्ट्रीय चेतना के साथ ही मानवीय संवेदना का होना जरूरी है। साहित्य में वामपंथ या दक्षिण पंथ की जगह सत्य को महत्व दें। चाणक्य राष्ट्रवादी थे। प्रजा व देश के कल्याण की सभी बातें उनकी पुस्तकों में है। श्री मनीष अरविंद ने कहा कि नयी पीढ़ी में साहित्य के प्रति अनुराग उत्पन्न करना जरूरी है। इसके लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए।
दूसरे सत्र में काव्य पाठ का आयोजन हुआ। मीनू मिश्रा ने हिंदी कविता ‘संक्षिप्त मुलाकात’, रीना यादव ने गीत व ग़ज़ल, आशुतोष ने ”ये लोग कहां फिर जाएंगे’, चंद्रकांत मिश्र ने मैथिली गीत ‘मास बसंत बनल ऋतुराज’, राजीव कंठ ने मैथिली कविता ‘के देखत हमरा’ व ‘मैथिल कोनो जाति नहि अछि पूर्ण समाज’, हितनाथ झा ने ‘फेसबुक पर अबिते देखिते’ व ‘नोर कहां नेनाक सुखयलनि?’, शैलजा झा ने पर्यावरण पर कविता, नीलम झा ने ‘हमर पहचान मिथिला थिक’ व’ साहित्यलोक केर बढ़ैत कदम’, कुमार मनीष अरविंद ने ‘धर्मयुद्ध- धर्मयुद्ध हाथ में थमा दैत अछि शस्त्र’ व बुद्धि नाथ झा ने ‘मिथिला मैथिल जय जय हो…’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी। समारोह की अध्यक्षता बुद्धि नाथ झा ने की तथा मंच संचालन व अंत में धन्यवाद ज्ञापन अमन कुमार झा ने किया। इस अवसर पर प्रकाश चन्द्र मिश्र, किरण मिश्रा, बटोही कुमार, शंभु झा, मिहिर कुमार झा राजू, प्रदीप कुमार झा, पी के झा चंदन, अविनाश अवि, प्रदीप कुमार, विश्वनाथ झा, गंगेश पाठक, संतोष, सुधा मल्लिक, पूनम मल्लिक, धर्मवीर सिंह, विनोद कुमार सहित अन्य काव्य प्रेमी श्रोता उपस्थित थे।