नवकुम्भ साहित्य सेवा संस्थान के स्थापना दिवस पर बोकारो क्लब में काव्य गोष्ठी आयोजित

अरुण पाठक

बोकारो : नवकुम्भ साहित्य सेवा संस्थान के स्थापना दिवस पर गुरुवार को बोकारो क्लब में एक भव्य काव्य -गोष्ठी का आयोजन किया गया। नवकुम्भ साहित्य सेवा संस्थान के झारखंड शाखा की अध्यक्षा पूर्णिमा सुमन और सचिव चांदनी वर्मा द्वारा आयोजित इस काव्यगोष्ठी में बोकारो, हजारीबाग, रांची और धनबाद के वरिष्ठ व नवांकुर रचनाकार शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ परमेश्वर भारती व देवानंद मधुकर सहित साहित्यकारों द्वारा माँ सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन से हुई। आमंत्रित साहित्यकारों में दिलीप सिंह, अरुण पाठक, ब्रजेश पांडेय, विशाल पंडित, क्रांति श्रीवास्तव, रीना यादव, मोहित काली दास, गीता गुस्ताख़, सोनी कुमारी, अंकित शेखर,किरण देवी, ज्योति वर्मा, मनोज कुमार निशांत, अनिल कुमार श्रीवास्तव, अवस्थी जी, अशोक जी, पंकज लाठा और शैलेश कुमार दूबे ने एक-से बढ़कर एक कविताएं व गीत प्रस्तुत किए।

डॉ परमेश्वर भारती की अध्यक्षता में आयोजित इस काव्य-गोष्ठी में साहित्यकारों ने अपने-अपने अंदाज में बेहतरीन प्रस्तुति दी। ज्योति वर्मा ने सरस्वती वंदना की, साथ ही हमें सुनहरे ख्याब़ दिखाएं, दिलीप सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी को अश्वमेध का घोड़ा बताते हुए महत्वपूर्ण बताया, मोहित काली दास ने जीवन के सार को समझाया, क्रांति श्रीवास्तव ने स्वाभिमानी बेटी झुकना नहीं, साथ ही प्रेम पर कविता कही, रीना यादव ने मां को परिभाषित किया, साथ ही देश के प्रति सम्मान भाव प्रकट किए, ब्रजेश पांडेय ने अपनी कविता में हिंदी भाषा पर गर्व करते हुए रचना पढ़ी और बेटियों को विरांगना बनने वाली प्रेरक कविता कही, अंकित शेखर ने चंचल मन और समाज के दोहरे चरित्र का वर्णन करते हुए रचना पढ़ी, अनिल कुमार श्रीवास्तव ने फ़ासले और पश्चाताप पर कविता कही, किरण देवी ने अपनी मधुर आवाज में कृष्ण भक्ति की और देश भक्ति के गीत गाएं, सोनी ने शहादत-वीर जवानों की और पुरुषों पर हास्य-व्यंग की कविता कही, अरुण पाठक ने हिंदी है हम सबकी भाषा व मैथिली में सद्भावना गीत सुनाकर सबकी वाहवाही ली।

गीता गुस्ताख़ ने पिया की राह न तकूंगी और देश महान जैसी खुबसूरत कविता कही, अवस्थी जी ने रिश्तों में दीमक व सपने आंखों में पलते हैं विषय पर कविता रखी, विशाल पंडित ने देशभक्ति से ओत-प्रोत कविता कही, साथ ही सोशल मीडिया व इंस्टाग्राम पर कटाक्ष किया, मनोज कुमार निशांत ने अपनी हास्य -व्यंग के अंदाज़ में महिलाओं को अबला नहीं सबला कहा और बेटियों की सुरक्षा पर कविता कही, अशोक जी ने हरिशंकर परसाई जी पर पढ़ा, पंकज लाठा ने बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी, शैलेश कुमार दूबे ने अपनी कविता से मंच को बांध दिया।

सभी साहित्यकारों को मुख्य अतिथि डॉ परमेश्वर भारती और देवानंद मधुकर जी के हाथों प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन सचिव चांदनी वर्मा व धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्षा पुर्णिमा सुमन ने किया।

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