अरुण पाठक
बोकारो : चर्चित साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचना गोष्ठी रविवार की शाम वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’ के सेक्टर 8 स्थित आवास पर हुई। रंगकर्मी शंभु झा की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचना गोष्ठी की शुरुआत कवि व गायक अरुण पाठक ने अपनी रचना सरस्वती वंदना ‘हे मां सरस्वती बुद्धि विद्या दायिनी, हम पर कृपा बरसाओ मां…’ की सुमधुर प्रस्तुति से की।
कवयित्री नीलम झा ने मैथिली कविता ‘ई धरा केर शान मिथिला थिक हमर पहचान मिथिला..’ सुनाने के बाद हिन्दी कविता ‘खुद को देखो’ व ‘वक्त कुछ ठहर’, अमन कुमार झा ने मैथिली कथा ‘मोल-भाओ’ के बाद मैथिली कविता ‘इस्स’ व ‘पुरखाक धरोहर’, शैलजा झा ने मैथिली कविता ‘श्री गणेश’, ‘परिवार डेबब’ व हिंदी कविता ‘शेष ही अवशेष है’, वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ने मैथिली कथा ‘सोमन कुमार सीओ’, हिंदी कविता ‘मानो या न मानो’ व ‘हे नाथ’ मैथिली में ओम महाभारत महाकाव्य के रचयिता प्रसिद्ध साहित्यकार बुद्धि नाथ झा ने मैथिली कविता ‘हम ताप सभटा घोंटि रहलहुं’ व कश्मीर से धारा 370 हटने पर ‘भल भेल’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी।
अध्यक्षीय वक्तव्य में शंभु झा ने कहा कि बोकारो के साहित्यिक परिवेश को जीवंत बनाये रखने में साहित्यलोक की भूमिका प्रशंसनीय रही है। यहां नवोदित रचनाकारों को भी जो आदर व सम्मान मिलता है वह अन्य संस्थाओं के लिए भी अनुकरणीय है। पठित रचनाओं पर समीक्षा टिप्पणी देने की परंपरा भी काबिले-तारीफ है।