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बोकारो: चर्चित साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी मंगलवार की शाम साहित्यकार उदय कुमार झा के सेक्टर 2 बी स्थित आवास पर हुई। मैथिली महाकाव्य ‘ऊं महाभारत’ के रचयिता वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचनागोष्ठी में साहित्यलोक के संस्थापक महासचिव व शिक्षाविद् तुला नंद मिश्र, मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के भूतपूर्व महासचिव बलराम चौधरी, परिषद् के वर्तमान उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार, रंगकर्मी बटोही कुमार, शिक्षक पी के झा ‘चंदन’, अधिवक्ता विश्वनाथ झा, साहित्यकार अमीरीनाथ झा ‘अमर’, उदय कुमार झा, संजय कुमार झा, स्मिता चौधरी, नीलम झा, डॉ रणजीत कुमार झा, अरुण पाठक, अमन कुमार मिश्र आदि ने शिरकत की।
रचनागोष्ठी में राजेन्द्र कुमार ने मैथिली में ‘बौआ बौआ’, स्मिता चौधरी ने बीहनि कथा ‘बौआ सिंह’ व भगवती वंदना ‘जय कमलासिन करूणा’, अमन कुमार झा ने कविता ‘दूर सं निहारला पर सभ ‘सुन्नरे-सुन्नर’ व कहानी ‘संस्था’, बटोही कुमार ने ‘नाटकक चरित्र’, अमन मिश्र ने हिन्दी कविता ‘सोचता हूं अपने गांव हो आऊं’ व ‘उसने कहा था’, डॉ रणजीत कुमार झा ने मैथिली गीत ‘जींस वाली कनिया’, संजय कुमार झा ने हिन्दी रचना ‘पुरुष और प्रकृति का मिलन’, नीलम झा ने ‘नव वर्षक शान’ व ‘यादों को समेट आंचल बना लिया’, पी के झा चंदन ने ‘फांक गेल अगिला बेर लेल’, अमीरी नाथ झा ‘अमर’ ने ‘नमन सदा चरणन में’ व ‘पीयर पात पुरान झरै छै’, अरुण पाठक ने मैथिली में सद्भावना गीत ‘जाति धर्म के नाम पर नहि बांटू मनुसंतान के…’, पं. उदय कुमार झा ने संस्कृत में ‘स्वागतम्’ व मैथिली में ‘गाम घर माहेश्वरी’ एवं ‘वृद्ध’ शीर्षक कविता सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई।
बलराम चौधरी ने संस्मरण सुनाए। उन्होंने बोकारो की साहित्यिक ऊर्जा को गति देने में साहित्यलोक के योगदान को प्रशंसनीय बताय। अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए बुद्धिनाथ झा ने अपने महाकाव्य ‘ऊं महाभारत’ से कर्ण व कुंती संवाद सुनाकर सबको प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि बोकारो के साहित्यिक माहौल को जीवंत बनाने में साहित्यलोक की महती भूमिका रही है। पठित रचनाओं पर समीक्षा टिप्पणी तुला नंद मिश्र, बुद्धिनाथ झा, स्मिता चौधरी आदि ने दी।