# एक्सीडेंट होते ही एक किलोमीटर के दायरे के सभी अस्पतालों को मिल जाएगी सूचना और समय पर पहुंच सकेगी एंबुलेंस
# परिजनों और पुलिस को भी तत्काल हो जाएगा फोन, भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए प्रोजेक्ट का हुआ चयन
बोकारो : भारत में सड़क दुर्घटना प्रमुख चुनौतियों में से एक है। भागम-भाग और रफ्तार की होड़ में हर साल अपने देश में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसे में होती है। इनमें लगभग 30% लोगों की मौत सही समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंच पाने के कारण हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने और सही समय पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो के 10वीं कक्षा के होनहार विद्यार्थी रूपेश कुमार ने एक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन ‘रक्षक’ तैयार किया है। इसकी मदद से दुर्घटना होने के साथ ही संबंधित घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी अस्पतालों को कॉल और एसएमएस के जरिए वाहन के लोकेशन के साथ सूचना मिल जाएगी।
इससे सही समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंचाई जा सकेगी। इतना ही नहीं, अस्पतालों के साथ-साथ वाहन में सवार लोगों के परिजनों और पुलिस को भी तत्काल सूचना मिल सकेगी। इसके अलावा उक्त एप में रजिस्टर्ड आसपास के कार चालकों को भी लोकेशन व सूचना मिल जाएगी। इस नवाचार के लिए रूपेश का चयन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए किया गया है। सरकार की ओर से अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है।
कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाकर काम करता है सेंसर
रूपेश द्वारा बनाया गए डिवाइस में एमसीयू (माइक्रोकंट्रोलर यूनिट), सेंसर, जीपीएस, सिम कार्ड, एक्सीलरेशन डिटेक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जबकि, इससे जुड़े मोबाइल ऐप में वाहन चालक का नाम, घर का पता, ब्लड ग्रुप एवं परिजनों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहते हैं। कंप्यूटर कोडिंग की मदद से उक्त डिवाइस में सभी संबंधित डाटा को फीड किया जाता है। रूपेश ने बताया कि इसमें खास तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया गया है, जो कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाता है। सुरक्षित सीमा से अधिक रफ्तार होने पर यह डिवाइस ड्राइवर को अलर्ट भी करता है। वहीं, एक्सीडेंट होने पर वाहन की गति और गाड़ी पर झटके से अचानक पड़ने वाले दबाव का पता लगाकर सेंसर एमसीयू को संदेश भेजता है, जहां से संबंधित नंबरों पर फोन और एसएमएस चला जाता है।
पिता के दोस्त की सड़क हादसे में मौत के बाद आया आइडिया
रूपेश ने बताया कि लगभग दो वर्ष पहले उसके पिता रविशंकर कुमार के एक पूर्व सैनिक मित्र की सड़क हादसे में दर्दनाक मृत्यु हो गई थी। अगर सही समय पर एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई होती, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। इस दुर्घटना के बाद ही उसे यह आइडिया सूझा कि कुछ ऐसा उपकरण वह बनाए, जिससे सड़क हादसे में घायल लोगों की जान समय रहते बचाई जा सके। उसने इस बारे में अपने विद्यालय में संबंधित गाइड टीचर मो. ओबैदुल्लाह अंसारी से बात की और उनकी मदद से इस प्रोजेक्ट की ओर काम आगे बढ़ाया। इसे मूर्त रूप देने में उसे लगभग एक महीने का समय लगा और करीब 1200 रुपए का खर्च आया। इस प्रोजेक्ट के लिए उसने सभी सामान आनलाइन जुगाड़ किए हैं।
कार-निर्माता कंपनियां कर सकती हैं पहल
रूपेश का कहना है कि जिस तरह का सेफ्टी डिवाइस उसने बनाया है, अगर कार निर्माता कंपनियां पहल करें, तो वह अपने आइडिया को व्यापक स्तर पर धरातल पर उतार सकता है। इससे दूसरा फायदा यह भी होगा कि सभी वाहन चालकों का डाटा एक जगह सुरक्षित रह पाएगा। साथ ही, सड़क हादसों के समय मिलने वाले लोकेशन के आधार पर संबंधित इलाके के एक्सीडेंट जोन की भी जानकारी मिल सकेगी।
‘सड़क-सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी अहम’
प्राचार्य डीपीएस बोकारो डॉ. ए. एस. गंगवार, ने कहा कि ‘‘ रोड एक्सीडेंट में काफी लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। ऐसे में रूपेश द्वारा तैयार यंत्र काफी कारगर साबित हो सकता है। वाहन की रफ्तार नियंत्रित करने से लेकर समय पर एंबुलेंस पहुंचा पाने में यह सहायक है। रूपेश विद्यालय का मेधावी छात्र है और उसके द्वारा बनाया गया रोड सेफ्टी डिवाइस सड़क-सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी अहम है। इसके लिए उसका चयन इंस्पायर मानक अवार्ड योजना के लिए किया गया है। यह विद्यालय परिवार के साथ-साथ पूरे बोकारो के लिए गौरव की बात है।
इंडियन साइंस कांग्रेस में झारखंड का किया प्रतिनिधित्व
उल्लेखनीय है कि रूपेश ने हाल ही में नागपुर यूनिवर्सिटी में आयोजित 108वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर अपने विद्यालय तथा पूरे राज्य का मान बढ़ाया। नहीं बोल-सुन पाने वालों के लिए बनाए गए खास सॉफ्टवेयर की कंप्यूटर कोडिंग करने के लिए उसे साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड की ओर से उक्त राष्ट्रस्तरीय आयोजन में शामिल होने के लिए चुना गया था। वहां उसे देश-विदेश के 500 से भी अधिक वैज्ञानिकों के साथ समय बिताने और उनके अनुभवों से लाभार्जन का सुअवसर मिला। बीएसएलकर्मी रविशंकर कुमार एवं बिहार में राजस्व पदाधिकारी सुनीता कुमारी के होनहार पुत्र रूपेश की शुरू से ही कोडिंग में रुचि रही है। वह आगे चलकर एक सफल कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है।