बोकारो । चिन्मय विद्यालय, बोकारो अपने छात्रों के बेहतर भविष्य निर्माण के प्रति हमेशा सचेत और सक्रिय रहता है और छात्रों को अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए हमेशा सफलतम व्यक्तित्व से संवाद स्थापित करवाता रहता है, ताकि उनकी ऊर्जा, जोश, कर्मठता में कमी नही रहे और वे स्वतः अभिप्रेरित हो अपने संकल्प सिद्धि में प्रयत्नशील रहें। इसी कड़ी में आज विद्यालय ने एक अद्भुत परंतु नवीन परंपरा की शुरुआत की विद्यालय के आधुनिक सेमिनार हॉल में छात्रों को संवोंधित करने हेतु जिला प्रशासन के चार महान स्वंय को अपने यहाँ सादर आमंत्रित किया था। वे थे कुलदीप चौधरी, (उपायुक्त, बोकारो), चंदन कुमार झा, जिला आरक्षी अधीक्षक (बोकारो) कीर्ति श्री (जिला उपविकास आयुक्त, बोकारो) एवं दिलीप सिंह शेखावत, अनुमंडल पदाधिकारी (चास)।
प्राचार्य सूरज शर्मा ने अपने स्वागत संबोधन के क्रम में सभी अतिथियों का परिचय करवाया उनकी शानदार शैक्षणिक सह करियर उपलब्धि से छात्रों को अवगत कराया। बहुत ही रोचक एवं सकारात्मक रही यह सत्र – भारतीय प्रशासनिक सेवा से सभी अधिकारियों ने अपनी शैक्षणिक उपलब्धि और इस विभाग में क्यांे आए, इसकी जानकारी छात्रों को दी, जो कि विस्मय एवं रोचकता से परिपूर्ण था।
उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा कि सबसे पहले जो समाने है उसमें बेहतर करो यदि आप 11वीं-12वीं कक्षा में है तो उन कक्षा में बेहतर से बेहतर करने की कोशिश करो। समय का शत-प्रतिशत सदुपयोग करो। इसका अर्थ यह नहीं है कि समय सारणी इतना अव्यावहारिक हो जाए कि वह तुम्हें डिमोटिवेट करें। जैसे-जैसे करियर आगे बढ़ेगा । हर एक मोड़ पर अपने से पूछो कि तुम्हारी अभिरुचि क्या है। अपनी अभिरुचि जान लेने पर अपना लक्ष्य निर्धारित करो और पूछो अपने-आप से कि क्या उतनी क्षमता है तुममें, क्या उसके प्रति अभिरुचि है। एक बार लक्ष्य निर्धारित कर लो तो उस पर डटे रों, अपने जीवन का नियंत्रण अपने अंदर रखो। याद रखें कि जीवन में दो ही चीज है सफलता और असफलता सफल होने वालीं की संख्या बहुत कम होती है, उनमें जरुर कुछ न कुछ विशिष्ट होता है, तुम किधर खड़ा होना चाहते हो ? यदि सफल नहीं हो रहे तो लक्ष्य बदलों मत ! कारण जानों! डसे खोजो, उसे दूर करो, और मेहनत करों, हमेशा सकारात्मक सोचो। यदि एक बार कम अंक आ गया तो दुःख मत हो जाओ, अच्छाा इस बार इतना अंक आया है, और मेहनत करना है सामोजित आलोचना, बुराई, ईष्या-द्वेष करने वालों से हतोत्साहित करने वालों से हमेशा दूर रहो, यह ध्यान रखो कि कौन से कारक तुम्हें लक्ष्य से हटा रहे हैं ? उन्हें दूर करो। एक छात्रा अरुणिमा पांडेय ने पूछा था कि क्या कामर्स से यू पी सी ई किया जा सकता है? जबाव में उन्होंने कहा निश्चित ही । कोई भी विषय कमजोर नहीं होता है आवश्यकता इस बात है कि आप उसे बेहतर तरह से समझे।
जिला आरक्षी अधीक्षक चंदन कुमार झा ने छात्रों के करियर संबंधी आशंका को दूर करते हुए कहा कि जो समाने है उसकी तैयारी करें। सभी विषयों पर समान मेहनत करें। याद रखों नम्बर यह नहीं कहता कि यह छात्र इस विषय में अच्छा नहीं था। अमुक विषय के कारण इसको सफलता मिली है। अभिरुचि को पहचानियें, यह पता करिये कि आपको किस क्षेत्र में जाना चाहिए। हम सभी यहाँ इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से है लेकिन मन को लगा कि हम सभी कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए नहीं हैं, केवल भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए बने है, अभिरुचि ने अनुसार लक्ष्य निर्धारित कर कठिन परिश्रम किया। घर-परिवार सगे संबंधी सबका दबाव था कि आईआईटी व आईआईएम इसके बाद उँचे वेतन वाला कारपेरेट की नौकरी हो, लेकिन सभी का सम्मान रखते हुए। अपने मन को सुना, मेहनत किया और सफलता मिली।
मेधा के प्रश्न का उŸार देते हुए कहा कि ये तथ्य सही नहीं है कि इंजीनीयरिंग के छात्र ज्यादा तेज होते है और मानविकी के क्षेत्र में मेधा नहीं होती, इंजीनियरिंग के छात्र अधिक संख्या में प्रतियोगिता में भाग लेते हैं और अत्यधिक मेहनत करने की क्षमता पढ़ाई के दौरान विकसित हो जाती है, साथ ही कला संकाय के छात्रों से प्रतिस्पर्धा करते हैं कि इनसे बेतर मुझे अपनी लेखन-कला को विकसित करना है इससे उनकी क्षमता विकसित होती है और वे सफल होते हैं।
जिला उपविकास आयुक्त कीर्तिश्री ने कहा लक्ष्य निर्धारण से पहले तीन आयाम पर ध्यान दें – अपनी क्षमता, अवसर एवं परिवार का सहयोग साथ ही इन चार तथ्यों पर काम करें – संतुलित एवं स्वस्थ व्यक्तिगत जीवन सामाजिक संबंध आप किन से किस प्रकार ने व्यक्ति या मित्र के साथ सम्बध रखे हुए है, क्या वे सहयोग करने वाले है, अभिप्ररेक है या मार्ग से विचलित करने वाले हैं। कार्यशैली, कितना आप जानते हैं तथा समाज में आप क्या योगदान कर रहे हैं।
दिलीप सिंह शेखावत, अनुमंडल पदाधिकारी (चास) ने कहा कि – असफलता भी प्ररेणा बनती है। बार-बार आप असफल हो रहे, इससे घबराईये मत, संघर्ष से हटिये मत, केवल कारण खोजिए, उसे दूर कीजिए और अधिक मेहनत कीजिए तब तक ही सफलता नहीं मिलती, जीवन में एक साथ सभी तरफ मत बढ़िये। किसी एक लक्ष्य का निर्धारिण कर उस पर डटे रहिये।
कार्यक्रम काफी रोचक रहा बच्चों ने प्रासंगित एवं अप्रासंगिक, सवाल की किया लेकिन चारों महान अधिकारियों ने बड़ी सहजता से एवं रोचकपूर्ण शैली में सभी छात्र-छात्राओं के प्रश्नों का समाधान किया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय सचिव श्री महेश त्रिपाठी ने इन सभी पदाधिकरयिों को इस महनीय एवं सराहणीय प्रयास को भूरि-भूरि प्रंशसा करते हुए धन्यवाद दिया और कहा कि बोकारो प्रशासन का यह प्रयास की छात्र-छात्राओं से जुड़कर उनकी समस्याओं से अवगत हो उन्हें अभिप्रेरित करें निश्चय ही समाज में संचरनात्मक बदलाव लायेगा। कार्यक्रम का संचालन सुप्रिया चौधरी ने किया।