नई दिल्ली: भारत को यदि सॉफ्टवेयर विकास के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बने रहना है तो देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना जरूरी है। यह बात इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने कही। उन्होंने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों को मजबूत करना होगा। उन्हें प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञ होना होगा ताकि 125 अरब डॉलर के इस उद्योग में अपना शोध योगदान बढ़ा सकें। मूर्ति ने दूसरे और तीसरे दर्जें के शहरों में स्थित इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा की ‘खराब’ गुणवत्ता के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को इस तरह बदलना है कि वह छात्रों में जिज्ञासा, तर्कशील सोच, समस्या का समाधान और सीखने की क्षमता जैसे गुणों का विकास कर सके।
यह सिर्फ अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले शिक्षकों से ही संभव हैं। इनको (इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों) स्पष्ट तौर पर अपने कंप्यूटर विज्ञान कौशल और अंग्रेजी में बातचीत की क्षमता को सुधारना चाहिए। तब वह भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग की औसत शुरुआती वेतन से तीन गुना वेतन ले सकते हैं। वह यहां एन. शेषागिरी स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। इसका आयोजन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने किया था। मूर्ति ने कहा कि एक देश के तौर पर हमारी प्रगति शिक्षा में प्रगति किए बिना आसान नहीं हो सकती। सॉफ्टवेयर सेवा उद्योग में भारत को विश्व स्तर पर अग्रणी बनाने के हमारे सपने के लिए यह पहली जरूरत है कि हम अपनी शिक्षा व्यवस्था में स्थायी सुधार लाएं।