हम भारत की बेटी हैं जब खड्ग हाथ में धारेंगें…

 

मिथिला एकेडमी में साहित्यलोक का बहुभाषी कवि सम्मेलन में काव्य रस से सराबोर हुए श्रोता; रांची, हजारीबाग व बोकारो के साहित्यकार हुए शामिल

अरुण पाठक

बोकारो: मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल, सेक्टर-4 के विद्यापति सभागार में रविवार को चर्चित साहित्यिक संस्था साहित्यलोक एवं प्रतिष्ठित सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था मिथिला सांस्कृतिक परिषद, बोकारो के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साहित्यिक समारोह व बहुभाषी कवि सम्मेलन में रांची, हजारीबाग व बोकारो के साहित्यकारों ने वीररस, मातृदिवस, सद्भावना, भक्ति, प्रेम, करुणा आदि रस की रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को घंटों बांधे रखा।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि रांची से पधारे भारतीय वन सेवा के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ अधिकारी व साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार कुमार मनीष अरविंद, विशिष्ट अतिथि हजारीबाग से आए वरिष्ठ साहित्यकार हितनाथ झा, साहित्यलोक के संस्थापक महासचिव व वरिष्ठ शिक्षाविद तुलानंद मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा, विजय शंकर मल्लिक सुधापति, बटोही कुमार, कार्यक्रम के अध्यक्ष मिथिला सांस्कृतिक परिषद, बोकारो के उपाध्यक्ष समरेन्द्र झा ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन के बाद दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रतिभावान गायिका आंचल पाठक द्वारा प्रस्तुत महाकवि विद्यापति की रचना भगवती वंदना ‘जय जय भैरवि…’ के सुमधुर गायन से हुई। इस अवसर पर साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा द्वारा लिखित मैथिली नाटक पुस्तक ‘अहां बिनु हम जीयब कोना’ व साहित्यलोक के पूर्व संयोजक डॉ सन्तोष कुमार झा के मैथिली कविता संग्रह ‘कविक आबा’ का लोकार्पण किया गया।

मुख्य अतिथि कुमार मनीष अरविंद ने इस आयोजन के लिए साहित्यलोक की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से शहर को साहित्यिक ऊर्जा मिलती है। कुछ समय के अंतराल पर निरंतर इस तरह के आयोजन होने चाहिए। बहुभाषी कवि सम्मेलन में कवयित्री करुणा कलिका ने हिंदी कविता ‘हम भारत की बेटी हैं जब खड्ग हाथ में धारेंगें’ व भोजपुरी कविता, आशुतोष कुमार ने खोरठा कविता, अरुण पाठक ने मैथिली में सद्भावना गीत ‘जाति, धर्म के नाम पर नहि बांटू इंसान के..’, अमृता शर्मा ने हिंदी कविता ‘धर्म का मर्म’, रणधीर चंद्र गोस्वामी ने ‘भूख के खिलाफ’, ‘तब कहां थे तुम’, शैलजा झा ने हिंदी कविता ‘श्रेष्ठता के अभियान’, ‘मां तुम जिंदा रहोगी’, मैथिली कविता ‘समझौता’, ‘स्त्री के मौन तपस्या’, हितनाथ झा ने मैथिली कविता ‘कहिया धरि’, ‘हिन्दुस्तानक प्राण तिरंगा’, ‘अई जंगल में’, ‘अंकक रथ सं अक्षर पथ पर’, कुमार मनीष अरविंद ने मैथिली में ‘ई धर्मयुद्ध छैक!’, ‘सांप का वार’, ‘जाग चंडी’, अमन कुमार झा ने मैथिली में ‘कोहबरक पान’, ब्रजेश पांडेय ने हिंदी में वीररस की कविता, डॉ रणजीत कुमार झा, राजीव कंठ, श्रवण कुमार झा, नीलम झा, विजय शंकर मल्लिक सुधापति, बुद्धि नाथ झा ने मैथिली कविता सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही ली।

मंच संचालन शंभु झा व अमन कुमार झा एवं धन्यवाद ज्ञापन राजेंद्र कुमार ने किया। इस अवसर पर के सी झा, अमरेन्द्र कुमार झा, किरण मिश्रा, विश्वनाथ झा, गंगेश कुमार पाठक, विनोद कुमार, अनिल सिंह, राधा मोहन सिंह, गुलाब सिंह, प्रवीण कुमार झा सहित अन्य काव्य प्रेमी श्रोता उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *