बोकारो में संगीत-जगत के स्तंभ पं. सूर्य नारायण झा के निधन पर शोक की लहर

बोकारो: बोकारो में संगीत जगत की स्थापना के स्तंभों में से एक पं. सूर्य नारायण झा अब इस दुनिया में नहीं रहे। 72 वर्षीय पं. झा का निधन इलाज के दौरान बोकारो जनरल अस्पताल में 27 नवंबर को हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। सेक्टर- 3ए स्थित आवास संख्या 377 अपने आवास में वह पिछले काफी समय से अस्वस्थ थे तथा स्वास्थ्य-लाभ ले रहे थे, परंतु इस बीच अचानक उनकी तबीयत अधिक बिगड़ गई। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन पर बोकारो के संगीत जगत में शोक की लहर फैल गई है। उन्होंने पं. झा के निधन को बोकारो के संगीत क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति बताई है। पं. झा अपनी पत्नी विमला झा, दो पुत्र अरुणोदय झा व कृष्णोदय झा और पुत्री श्वेता झा सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए।

मां काली के अनन्य भक्त थे पं. झा, जाते-जाते भी सुना गए मैया को भजन
सहरसा (बिहार) जिला स्थित बनगांव के मूल निवासी पं. सूर्य नारायण झा मां काली के अनन्य भक्तों में से एक थे। अपने स्वर एवं राग रूपी फूलों से वह मां भगवती की नित्य पूजा किया करते थे। प्रतिवर्ष नगर के सेक्टर 2डी में मैथिली कला मंच कालीपूजा ट्रस्ट द्वारा काली पूजा पर होने वाले संगीत समारोह में उनका शास्त्रीय गायन अपने-आप में अद्वितीय हुआ करता था। साथ ही बोकारो की प्रतिष्ठित सामाजिक विद्यापति सांस्कृतिक संस्था मिथिला सांस्कृतिक परिषद् द्वारा आयोजित होने वाले विद्यापति स्मृति पर्व समारोह में विद्यापति रचित ‘जय-जय भैरवि…’ को राग मालकोश में अलंकृत कर विशेष रूप से प्रस्तुत करना उनका अभूतपूर्व योगदान रहा है। बुलंद छवि एवं दमदार आवाज के स्वामी पं. झा जब मां काली का सुरीला आवाहन करते थे, तो ऐसा लगता था मां काली साक्षात उनके सामने प्रकट हो गई हों और सुनने वाले लोग भी भाव-विभोर हो जाया करते थे। उनके परिजनों ने बताया कि मां काली से उनका लगाव ऐसा था कि अपने निधन से कुछ समय पूर्व भी वह मैया को भजन सुना गए। अहले सुबह 3 बजे उन्हें काली मंदिर पर काली पूजा का स्वप्न आया और वह उठ गए। फिर अलग-अलग रागों में मां काली के पांच भजन गाए। परिजनों ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि वह मां काली को गीत सुना रहे थे।

बोकारो इस्पात विद्यालय के सेवानिवृत संगीत शिक्षक पं. सूर्य नारायण झा के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करनेवालों में साहित्यकार बुद्धिनाथ झा, तुला नंद मिश्र, गिरिजा नंद झा अर्धनारीश्वर, सतीश चन्द्र झा, हरि मोहन झा, भुटकुन झा, संगीतज्ञ पं राणा झा, डॉ राकेश रंजन, पं बच्चनजी महाराज, शिवेन चक्रवर्ती, पं शिवपूजन मिश्र, विजय कुमार झा, अरुण पाठक, दीपक झा, रुपक कुमार झा, अमरजी सिन्हा, आर एन दुबे, धनंजय चक्रवर्ती, विश्वनाथ गोस्वामी, हरेकनाथ गोस्वामी, शारदा झा, रंजू सिंह, लिपि बोस, शेफाली दुबे, करिश्मा प्रसाद, सुनीता श्रीवास्तव, उमेश कुमार झा, नरेश कुमार सिन्हा, राकेश कुमार सिंह, प्रसेनजीत शर्मा, बलराम मजुमदार, संजीव मजुमदार, निमेष राठौर, श्याम कुमार आदि सहित मिथिला सांस्कृतिक परिषद्, बोकारो के अध्यक्ष अनिल कुमार, उपाध्यक्ष अनिमेष कुमार झा, राजेन्द्र कुमार, महासचिव अविनाश कुमार झा सहित बटोही कुमार, ए के झा, श्रवण कुमार झा, अविनाश अवि, प्रदीप झा, आरके कर्ण, सुदीप कुमार ठाकुर, चंद्र कांत मिश्र, विवेकानंद झा, अमरजीत चौधरी, मैथिली कला मंच काली पूजा ट्रस्ट के अध्यक्ष केसी झा, महामंत्री सुनील मोहन ठाकुर, गोविंद कुमार झा व अन्य के नाम शामिल हैं।

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