नई दिल्ली: भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ जो सैन्य अभियान चलाया, उसे अब सिर्फ एक युद्ध नहीं बल्कि तकनीकी शक्ति के प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका के जाने-माने सैन्य विशेषज्ञ जॉन स्पेंसर ने कहा है कि “भारत ने सिर्फ पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध नहीं जीता, बल्कि चीन के खिलाफ तकनीकी युद्ध भी जीत लिया।”
स्पेंसर, जो कि यूएस आर्मी मिलिट्री एकेडमी के मॉडर्न वॉर इंस्टिट्यूट में अर्बन वॉरफेयर स्टडीज़ के चेयरमैन हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर इस बात को साझा करते हुए भारत की रणनीति को “एक मास्टरस्ट्रोक” बताया।
इस महीने की शुरुआत में भारत ने आतंकवाद के जवाब में चार दिन का तेज़ और सटीक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया। लेकिन इस लड़ाई में केवल गोलियों और मिसाइलों की बात नहीं थी — पर्दे के पीछे एक बड़ी तकनीकी टक्कर चल रही थी, जिसमें भारत के स्वदेशी हथियारों ने पाकिस्तान के चीन से मिले सिस्टम्स को पीछे छोड़ दिया।
— John Spencer (@SpencerGuard) May 29, 2025
स्पेंसर ने कहा कि पाकिस्तान ने इस युद्ध में चीन के “प्रॉक्सी” यानी प्रतिनिधि की तरह लड़ाई लड़ी। उसने चीनी JF-17 लड़ाकू विमान, HQ-9 मिसाइल डिफेंस, तुर्की के ड्रोन और अमेरिकी F-16 का इस्तेमाल किया — लेकिन भारत की ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश और आकाशतीर जैसे स्वदेशी हथियारों के सामने ये सभी फीके पड़ गए।
भारत ने विदेशी तकनीक जैसे राफेल, स्कैल्प मिसाइल और S-400 सिस्टम को भी अपने कमांड सिस्टम में शानदार तरीके से मिलाकर एक हाइब्रिड टेक्नोलॉजी वॉरफेयर का बेहतरीन उदाहरण पेश किया।
6 से 10 मई के बीच भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में कई एयरबेस, रडार स्टेशन और एयर डिफेंस सिस्टम्स पर सटीक हमले किए। जवाब में पाकिस्तान ने मिसाइल और ड्रोन हमले किए, लेकिन भारत ने उसके कई अहम सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया। आखिर में पाकिस्तान को औपचारिक तौर पर युद्धविराम (सीज़फायर) की गुहार लगानी पड़ी।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर ने सिर्फ सामरिक स्तर पर नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की ताकत का संतुलन बदल दिया है। स्पेंसर ने कहा, “यह सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि भारत का दुनिया को यह संदेश था कि हम सिर्फ युद्ध के लिए तैयार नहीं हैं, हम भविष्य के सैन्य इनोवेशन के लिए भी तैयार हैं।”
यह ऑपरेशन अब वैश्विक स्तर पर भारत के सैन्य आत्मनिर्भरता की पहचान बन गया है। सिर्फ लड़ाई की जीत नहीं, बल्कि यह दिखा दिया गया है कि भारत तकनीकी रूप से भी अब किसी से पीछे नहीं है — और चीन की हथियार तकनीक को चुनौती देने वाला बड़ा खिलाड़ी बन चुका है।
Good analysis