बोकारो। बोकारो मे रहनेवाले मिथिला क्षेत्र के लोगों ने सोमवार को श्रद्धा व उल्लास के संग चैठचन्द्र पूजा की। कला-संस्कृति की विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध मिथिला क्षेत्र में कई पर्व-त्यौहार अनूठे ढंग से मनाये जाते हैं। मिथिला सांस्कृतिक परिषद्, बोकारो के सांस्कृतिक कार्यक्रम निदेशक अरुण पाठक ने बताया कि गणेश चतुर्थी यूं तो देश भर में उत्साह व निष्ठा के साथ मनाई जाती है, लेकिन मिथिला क्षेत्र के लोग इसे चैठचन्द्र (चैरचन) पूजा के नाम से मनाते हैं। भादव शुक्ल चतुर्थी को मनाया जानेवाला यह त्यौहार मिथिला क्षेत्र के लोगों के लिए खास है।
इस दिन रोहिणी के साथ चंद्रमा की पूजा की जाती है। व्रती महिला दिनभर उपवास रखकर शाम को विधि पूर्वक पूजा करती हैं। पूजा करने से पूर्व विशेष प्रकार की अरिपन (अल्पना) बनाती हैं। उसके बाद उस पर दीपयुक्त कलश रखती हैं। विभिन्न प्रकार के पूड़ी-पकवान, फल, दही, पान का पत्ता आदि रखकर पूजा करती हैं। फिर परिवार के सारे सदस्य सजा हुआ डाली, फल आदि लेकर चंद्रमा को प्रणाम करते हैं।
मान्यता है इस दिन चन्द्रमा को खाली हाथ नहीं देखना चाहिए। फल या कोई पकवान के साथ ही चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए नहीं तो कलंक लगता है। माना जाता है कि मिथिला नरेश हेमांगद ठाकुर ने इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत की थी।