कुंभ से उपजते युवा पीढ़ी के लिए शोध के विषय

डा मनमोहन प्रकाश
स्वतंत्र पत्रकार

कुंभ, सनातनियों के लिए आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा मेला सिद्ध हुआ है। इसमें युवा पीढ़ी को विविध अखाड़ों के साधु-संतों, ऋषि-मुनियों, कथावाचकों आदि को निकट से देखने, विभिन्न पूजा पद्धतियों, तप, साधना आदि को जानने और वेद, पुराण, उपनिषद, भागवत, गीता, रामायण जैसे सनातन ग्रंथों के रहस्यों से साक्षात्कार करने का अवसर मिला। साथ ही, शासन, प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं, मठ, मंदिर, अखाड़ों, आश्रमों की व्यवस्था और क्रियाकलापों को समझने का भी अवसर प्राप्त हुआ।

महाकुंभ 2025 ने युवाओं के मन से यह विचार हटाया, जिसमें यह माना जाता रहा है कि धार्मिक आयोजनों में सहभागिता के लिए जीवन का उत्तरार्ध सबसे उपयुक्त समय है। सनातन धर्म के तीज-त्योहार, व्रत अवैज्ञानिक माने जाते थे। कुंभ 2025 में युवाओं की बढ़ती सहभागिता से यह स्पष्ट हुआ कि आज की युवा पीढ़ी में न केवल अपने सनातन धर्म और उससे जुड़े संस्कारों, संस्कृति, रीति-रिवाजों के प्रति आस्था बढ़ी है, बल्कि वे इससे जुड़े सभी पहलुओं को करीब से जानने के लिए उत्सुक हैं। वे उस विचार से बाहर निकलना चाहती हैं, जिसमें यह कहा जाता रहा है कि सनातन धर्म को न मानने वालों का धर्म ढोंग और पाखंड है।

कुंभ ने यह स्पष्ट कर दिया कि देश की युवा पीढ़ी का झुकाव तीर्थ स्थलों, मेलों, तीज-त्योहारों की ओर बढ़ रहा है, और वे इस विश्वास के साथ इसमें भाग ले रहे हैं कि इससे धर्म के नाम पर किए जाने वाले पाखंड और अवैज्ञानिक कृत्यों से मुक्ति मिल सकती है और सनातन धर्म को सर्वग्राह्य बनाया जा सकता है।

प्रयाग महाकुंभ ने युवाओं के मन में कई प्रश्न उत्पन्न किए हैं, जिनका उत्तर शोध के माध्यम से खोजने की आवश्यकता हो सकती है, जैसे:

  1. क्या कुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन देश में चल रही समस्याओं जैसे भुखमरी, बेरोजगारी, मंदिरों के प्रबंधन, जलस्रोतों के प्रदूषण, शहरों की स्वच्छता, विकास और स्थानीय उद्योगों की समस्याओं को जटिल बनाते हैं या समाधान प्रदान करते हैं?
  2. क्या इन आयोजनों में साधु-संतों, महात्माओं और महापुरुषों से मिलकर, उनके विचारों को सुनकर और योग, ध्यान-साधना में भाग लेकर जीवन में स्थिरता और आत्मिक शांति प्राप्त होती है?
  3. क्या इस तरह के आयोजन युवाओं को अपनी सनातन संस्कृति और परंपराओं को जानने और अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं?
  4. क्या इन आयोजनों से युवाओं को अपने इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व होता है?
  5. क्या इस तरह के आयोजनों से सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलता है और भेदभाव की भावना को समाप्त किया जा सकता है?
  6. क्या ये आयोजन समाज में भाईचारे और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करते हैं?
  7. क्या इन आयोजनों से सम्पन्न लोग गरीबों के लिए दान और सेवा में वृद्धि करते हैं?
  8. क्या महाकुंभ जैसे आयोजनों से ध्यान, प्रणायाम, योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को वैश्विक पहचान मिलती है?
  9. क्या इन आयोजनों से युवाओं को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है?
  10. क्या कुंभ जैसे आयोजन पर्यावरण की सुरक्षा, जल प्रदूषण, और स्वच्छता के संदेश को प्रभावी रूप से फैलाने में सफल होते हैं?
  11. क्या इन आयोजनों से युवा पीढ़ी नेतृत्व, टीम वर्क, अनुशासन और समाज सेवा के महत्व को समझ पाती है?
  12. क्या महाकुंभ जैसे आयोजन युवाओं के व्यक्तित्व विकास में सहायक हो सकते हैं?
  13. क्या कुंभ जैसे आयोजनों से भारत में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है?
  14. क्या इन आयोजनों से लोक कला, लोक संगीत, लोक नृत्य और लोक साहित्य को नवाचार और बढ़ावा मिलता है?
  15. क्या कुंभ जैसे आयोजनों में महिलाओं, ट्रांसजेंडर, गरीबों और हाशिए पर रहने वाले वर्गों की भागीदारी और उनके अनुभवों पर शोध होना चाहिए?
  16. क्या कुंभ के आयोजन से आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए बेहतर आधारभूत सुविधाओं का प्रबंधन किया जा सकता है?

इस प्रकार के शोध प्रश्नों के समाधान से न केवल कुंभ के आयोजनों को और बेहतर बनाया जा सकेगा, बल्कि इससे जुड़ी समस्याओं को भी हल किया जा सकता है और आगामी आयोजनों को और अधिक सुविधाजनक, आकर्षक और प्रभावी बनाया जा सकता है।

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