– आषीश सिन्हा
लगभग 88 घंटे तक चली भीषण गोलीबारी और सीमा पर तनाव के बाद भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को संघर्षविराम (सीज़फायर) पर सहमति जताई। इसकी पहली घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की, जो इस पारंपरिक द्विपक्षीय मुद्दे में तीसरे पक्ष की दुर्लभ भूमिका को दर्शाता है।
चार दिनों की इस तनातनी ने पूरे दक्षिण एशिया को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया। भारी गोलीबारी, ड्रोन हमले और आम नागरिकों की मौतों की खबरें आईं। हालांकि अब गोलीबारी रुक गई है, लेकिन हालात अभी भी पूरी तरह शांत नहीं हैं। शनिवार रात भारत ने पाकिस्तान पर संघर्षविराम उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कड़ी चेतावनी दी।
अब सवाल यह उठ रहा है कि भारत को इस संघर्षविराम से क्या मिला? कई लोग कह रहे हैं कि भारत ने क्या पाया- क्या खोया, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि भारत को सैन्य नहीं बल्कि रणनीतिक, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है, जो आने वाले समय में क्षेत्र की ताकत का संतुलन बदल सकती है।
भारत को क्या-क्या फायदे हुए?
सैन्य ताकत का प्रदर्शन:
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बेहतरीन तालमेल दिखाया। इससे यह साफ हो गया कि भारत की सैन्य रणनीति मजबूत और संगठित है।
अर्थव्यवस्था पर असर नहीं पड़ा:
इतने बड़े सैन्य ऑपरेशन के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर रही। यह दिखाता है कि देश संकट के समय में भी संभलकर चलता है।
भारतीय हथियारों पर दुनिया का भरोसा बढ़ा:
भारतीय मिसाइल प्रणाली, खासकर ‘आकाश’ मिसाइल को लेकर दुनियाभर में चर्चा हुई। कई देशों ने अब भारतीय हथियारों को चीनी विकल्पों से बेहतर मानना शुरू किया है।
पाकिस्तान ने पहले संघर्षविराम का ऐलान किया:
इस बार सीज़फायर का ऐलान पहले पाकिस्तान ने किया, जिसे कई लोग उसकी रणनीतिक हार और अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा मान रहे हैं।
कूटनीतिक बढ़त भारत के पक्ष में:
संघर्षविराम भारत की शर्तों पर हुआ। इससे भारत ने दुनिया के सामने खुद को एक ज़िम्मेदार और शांति पसंद देश के रूप में पेश किया।
वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका मजबूत हुई:
इस घटनाक्रम ने भारत की छवि को UN और FATF जैसे मंचों पर और मजबूत किया है।
सिंधु जल संधि पर नई बात:
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर कुछ नए शर्तों को स्वीकार करने के संकेत दिए हैं, जो 1960 की ‘गलती’ को सुधारने की दिशा में अहम कदम हो सकता है।
आकाश मिसाइल की लोकप्रियता बढ़ी:
‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली ने छोटे और मध्यम देशों का ध्यान खींचा है। भारत के रक्षा निर्यात में अब नई संभावनाएं दिख रही हैं।
मोदी ने शांति को प्राथमिकता दी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्ध को राजनीति में भुनाने की बजाय शांति और दीर्घकालिक स्थिरता को तरजीह दी, जिससे भारत की छवि और बेहतर हुई।
डर पैदा करना सबसे बड़ी जीत:
भारत की तेज़ और सटीक सैन्य प्रतिक्रिया ने यह साफ संदेश दे दिया है कि पाकिस्तान को अब भविष्य में ऐसे दुस्साहस करने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा।
नाखुशी भी है, लेकिन संयम का संदेश साफ है
संघर्षविराम से कुछ भारतीयों में निराशा भी है, खासकर उन लोगों में जो मानते थे कि अब पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लेने का मौका आया है। बलूच और अफगान समुदायों को भी उम्मीद थी कि इस तनाव से पाकिस्तान की अंदरूनी स्थिति और कमजोर होगी।
लेकिन भारत ने जिस संयम और समझदारी के साथ कदम उठाया, उसने यह साफ कर दिया कि उसका मकसद आतंकवाद को खत्म करना है— न कि पड़ोसी देशों को अस्थिर करना।
निष्कर्ष
संघर्षविराम भले ही कुछ लोगों के लिए संतोषजनक न रहा हो, लेकिन भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में सैन्य, कूटनीतिक और मानसिक रूप से बढ़त हासिल की है। यह युद्ध ज़मीन के लिए नहीं था, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक जवाबी कार्रवाई थी—जिसमें दृढ़ता, सटीकता और संयम की परीक्षा थी। और ज़्यादातर मोर्चों पर भारत ने जीत दर्ज की है।