“लॉर्ड हनुमान एन एपीटोप ऑफ लीडरशिप” विषय पर एक ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सेमिनार

रांची: सरला बिरला विश्वविद्यालय रांची झारखंड के फैकल्टी ऑफ हयूमैनिटिज़ एंड योगा विभाग द्वारा ” लॉर्ड हनुमान एन एपीटोप ऑफ लीडरशिप” विषय पर एक ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सेमिनार सत्र का आयोजन किया गया।
सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में सेवा फाउंडेशन के संस्थापक आदरणीय प्रदीप कौशिक भैया जी महाराज ने उक्त विषय पर अपने विचार साझा किए। प्रदीप भैया जी महाराज को देश का अति प्रतिष्ठित सम्मान द नेशनल यूथ अवार्ड एवं नानाजी देशमुख अवार्ड के साथ-साथ कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुका है ।

इस अवसर पर उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा यानी हनुमानजी में हर तरह के कष्ट दूर करने की क्षमता व्याप्त है। हनुमान जी से हम चतुराई व नेतृत्व के लिए कुशल संवाद की प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं कि किस तरह से श्री हनुमान जी ने अपने संवाद कौशल से माता सीता को भरोसा दिलाया कि वे श्री राम के दूत हैं एवं समुद्र पार करते समय सुरसा से लड़ने में समय व्यर्थ ना कर चतुराई से उस समस्या को निपटाया।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के संस्थान तो निरंतर बढ़ते जा रहे हैं लेकिन नित्य प्रति नैतिकता में कमी होती जा रही है। हमारे जीवन का हेतु क्या है? इस पर विचार करते कि हम समाज के लिए लोक सुलभ और लोकस्वीकार नेतृत्व क्षमता कैसे कैसे विकसित करें, इसके लिए हमें लोक प्रसिद्ध , लोक पूज्य एवं लोक सुलभता के आदर्श पात्र हनुमान का जीवन को आदर्श रूप में अपनाना होगा। हनुमान जी से हमें यह भी सीख लेनी चाहिए कि जीवन में कुशल नेतृत्व के लिए मनुष्य को अपने आदर्शों से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। नेतृत्वकर्ता के रूप में हनुमान जी से हमें यह भी सीख लेनी चाहिए कि जीवन में मनुष्य को शंका स्वरूप नहीं वरन समाधान स्वरूप होना चाहिए ,चाहे परिस्थितियां कितनी भी विषम व विपरीत क्यों ना हो चिंतन में सकारात्मकता रहनी चाहिए। नेतृत्वकर्ता में वाणी, विचार, व्यवहार व वातावरण पर प्रभाव का होना तथा सेवा, समर्पण व त्याग की भावना होनी चाहिए। सफलता के चरम पर होने के बावजूद भी अहंकार का ना होना एक सफल नेतृत्वकर्ता का गुण होता है।

प्रदीप भैया जी महाराज ने कहा कि श्री हनुमान जी का जीवन चरित्र हमें या भी सीख देती है कि हमें आत्ममुग्धता से कोसों दूर रह समाज व राष्ट्र हित में सत्य के आदर्शों के साथ दूसरों के सुख व खुशी के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए।
हनुमान जी में विलक्षण प्रतिभा व प्रबल आत्मविश्वास उनके पूर्ण निष्ठा द्वारा लक्ष्य के प्रति समर्पण भाव के कारण था। समुद्र पर पुल बनाने से लेकर राम रावण युद्ध के समय तक उन्होंने पूरी वानर सेना का संचालन प्रखरता से किया जिसका श्रेय स्वयं नहीं अपितु संपूर्ण वानर सेना को दिया। हनुमान जी ने बिना अपेक्षा के श्री राम जी की सेवा की यह गुण प्रत्येक कुशल नेतृत्वकर्ता में होनी चाहिए।

सत्र प्रारंभ होने से पूर्व फैकल्टी ऑफ हयूमैनिटिज़ एंड योगा के सहशैक्षिक अधिष्ठाता डॉ आर एम झा ने वक्ता का स्वागत किया एवं कार्यक्रम की संक्षिप्त जानकारी दी। सत्र का संचालन दिन आईडी और सीएस प्रोफेसर संजीव बाजार द्वारा किया गया । प्रतिभागियों के प्रश्नों का वक्ता के साथ प्रश्न संवाद प्रो कविता कुमारी द्वारा किया गया। सत्र का समापन योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो कुमार राकेश रोशन पराशर द्वारा उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया ।

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ विजय कुमार सिंह, डीन अकादमी डॉ श्याम किशोर सिंह, प्रो संजीव बजाज, कार्मिक एवं प्रशासनिक प्रबंधक श्री मनीष कुमार, प्रो राहुल वत्स, डॉ राधा माधव झा, डॉ पार्थ पॉल, डॉ संदीप कुमार, डॉ संजीव कुमार सिन्हा, डॉ रिया मुखर्जी, प्रो मेघा सिन्हा, डॉ पूजा मिश्रा, प्रो अशोक अस्थाना, डॉ अमृता सरकार, प्रो कुमार राकेश रोशन पाराशर, प्रो कविता कुमारी,डॉ पिंटू दास, श्री अजय कुमार, श्री भारद्वाज शुक्ला, श्री दिलीप महतो, सुश्री शिखा राय सहित सभी छात्र उपस्थित थे।

 

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